“कोई तो है”- श्री विमल कुमार”विनोद”

Bimal Kumar

रमेश नामक एक छोटा सा बालक बचपन में अपने दरवाजे पर प्रतिदिन सड़क के किनारे खेलता था।एक दिन इसी क्रम में खेलते समय अचानक दो बैल आपस में लड़ते हुये रमेश के तरफ दौड़कर आने लगा,जैसे लग रहा था कि रमेश को धक्का मार देगा।इसी बीच एकाएक कोई आदमी हाथ में डंडा लेकर उसके पास आ खड़ा हो जाता है तथा बैल के मारने से बचा देता है तथा उसे सुरक्षित स्थान पर पहुँचाकर गायब हो जाता है।कुछ दिनों के बाद रमेश एक दिन कहीं जा रहा था तभी उसके पैर में पत्थर से चोट लग जाती है, जिसके कारण उसके पैर से खून बहने लगती है तथा वह जोर-जोर से रोने लगता है।तभी एक व्यक्ति वहाँ आकर उसके खून को बंद करने के लिये उस पर जड़ी-बूटी को पीस कर लगा देता है,जिसके चलते उसके पैर से खून बहना बंद हो जाता है।उसके बाद वह व्यक्ति कहता है कि ठीक से रहना,मैं फिर आउंगा,कहकर विलुप्त हो जाता है।इसके बाद रमेश एक दिन तालाब में नहाते समय बीच के गहरे पानी में चला जाता है तथा डूबने लगता है और बचाओ,बचाओ कहकर चिल्लाने लगता है।
तभी एक भैंसा वहाँ पर अवतरित होता है और उसको अपने सूंढ़ से धकेलते हुये किनारे पर ले जाकर बचा देता है।यह बात कुछ रमेश को समझ में नहीं आती है।इसके बाद रमेश प्रतिदिन किसी अदृश्य शक्ति को याद करता है तथा अपने घर से बाहर निकलने के समय मन-ही-मन ईश्वर का नाम लेकर घर से निकलता है।एक बार वह सड़क पार करना चाह रहा था कि तभी एक गाड़ी तेज गति से उस ओर चली आ रही थी,
मानो कि रमेश को अपनी चपेट में ले लेगा,इसी बीच उस गाड़ी में तकनीकी खराबी आ जाती है तथा गाड़ी अचानक से रूक जाती है।इसके बाद एक आदमी आकर रमेश को समझाकर कहता है कि तुमको डर नहीं लगती है,इस तरह से बीच सड़क
पर मत आना,नहीं तो धक्का लग जायेगी।यह बात रमेश के दिमाग के बाहर है कि आखिर ऐसा क्यों होता है
और बार-बार कोई ऐसी शक्ति है जो कि हमको बचाने की कोशिश करता है।
एक बार की बात है कि रमेश अपना काम करके घर वापस आ रहा था उसी समय तेज गर्जना और वर्षा होने लगती है,आसमान में काली घटा छायी हुई है बिजली चमक रही है ।
रमेश डर से एक वृक्ष के नीचे अपनी बचाव करने चला जाता है।जोर-जोर से हवा चलने के कारण ठंड से सिहरन सी होने लगती है,उसी समय एक आदमी हाथ में टार्च और लाठी
लिये आता है,जिसे देखकर एक ओर तो रमेश को भय भी लग रही थी तो दूसरी ओर वह चिल्लाकर कहता है भैया ओ भैया कौन हो,मुझे बचा लीजिए न।यह सुनकर वह आदमी कहता है कि कौन रमेश,इतनी रात में यहाँ,अरे तुमको यह समझ में नहीं आ रही है कि इतनी खराब मौसम में तुम यहाँ पर हो।चलो आओ,मेरे संग- संग मैं तुम्हें अपने साथ लिये चलता हूँ।इसके बाद रमेश को वह साथ- साथ लेकर उसके घर के पास पहुँचाकर वहाँ से गायब हो जाता है।
इन सारी बातों से प्रभावित होकर एक दिन पुनः जब वह भयंकर बिमारी के चपेट में पड़ जाता है तथा उसके पास न तो इलाज कराने के लिये रूपये है और न ही उसको कोई
चिकित्सक के पास ले जाने वाला है,ऐसी स्थिति में वह घर के अंदर जोर-जोर से रो रहा है तथा ईश्वर से प्रार्थना करता है कि हे भगवान कोई तो मेरा सहारा बनकर मेरा इलाज करा दे ताकि मैं स्वस्थ हो सकूँ,क्योंकि मैं अपनी बिमारी से परेशान तथा लाचार हूँ। तभी अचानक एक एंबुलेंस सायरन बजाती हुई उसके दरवाजे पर आकर लग जाती है तथा एक आदमी आकर उसका दरवाजा खटखटाने लगता है कि कोई है।यह सुनकर रमेश धीरे-धीरे कराहते हुये दरवाजा खोलता है,तब स्वास्थ्य विभाग के लोग आकर उसको अस्पताल लेकर जाते है तथा इलाज कराते हैं।इलाज के दरम्यान ही एक रात जब बहुत परेशान हो जाता है,उसी समय एक व्यक्ति साधु के वेश में आकर कहता है कि रमेश तुम क्यों परेशान हो,मैं
तुम्हारे साथ हूँ न!तभी रमेश कहता है कि आप इतनी रात में साधु के वेश में कौन हैं,आपको यह बताना होगा।साधु कहता है कि यह जानकर तुम क्या करोगे,कोई तो है न,जो तुम्हें,
दुःख की घड़ी में आकर सहायता करता है।इस पर रमेश एक हठी भक्त की तरह कहता है कि आज आपको यह बताना ही होगा जो कि बार-बार
मुझे संकट की घड़ी में सहायता करके मेरा उद्धार किये हैं।
इस पर प्रभु जी कहते हैं कि मैं हूँ एक अदृश्य शक्ति जो कि अपने भक्तों, अनाथ,असहाय,लाचार,भूखा,बच्चा,बिमार लोगों को समय पर अवतरित होकर उसका उद्धार करता हूँ।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद” शिक्षाविद।

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