पिता का पत्र पुत्री के नाम – Vivek Kumar

                             करजा मड़वन, मुज० 

                  

प्रिय पुत्री साक्षी

                  शुभ स्नेह

आशा और विश्वास है कि तुम ईश्वर की कृपा से कुशल पूर्वक होगी। दिनांक-14/09/2025 को हिन्दी दिवस है। हिन्दी दिवस के अवसर पर इसके महत्व साझा करना चाहता हूं। हिन्दी हमारी मातृभाषा है। मां से सीखी गई भाषा अपने भाल से लगा कर रखना। आजकल हिंदी से ज्यादा दूसरी भाषाओं का लोग उपयोग कर, अपनी मां को भूल रहे हैं। अब तो ऐसी विडंबना आ गई है कि लोग अंग्रेजी का हिन्दी शब्द ही भूल गए हैं। अंग्रेजी का बोलबाला है। जिसने हमें बोलना सिखाया। हिन्दी राष्ट्र की शान है। जिससे हमारी पहचान है। हिन्दी हमारी जान है। जन – जन का अभिमान है। जो राष्ट्र की शान संग सरल ,सहज बोली जाने वाली भाषा है। उस भाषा का दामन, मां की तरह पकड़े रहना। जिस तरह अपनी मां से प्यार करती हो उसी तरह हिन्दी के आंचल में छुपे रहना। चाहे आए लाख सितम अपनी मां का दामन मत छोड़ना। इसके अविरल गुणों को अपने सहपाठियों से साझा कर उसकी अस्मिता को बचाए रखना।     

                  आशा और पूर्ण विश्वास की मेरी बातें तुम्हें समझ आई होंगी। जीवन में कभी हिन्दी का साथ मजबूरी में नहीं, गर्व के साथ देना।

                                      तुम्हारा पिता            

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