भाषा की महत्ता – KUMKUM KUMARI

नयाटोला माधोपुर

        मुंगेर

 14/09/2025

मेरे प्रिय पुत्र

शुभाशीर्वाद 

        

          आशा करती हूँ कि तुम स्वस्थ व सानन्द होगे साथ ही पूरे मनोयोग से अध्ययनरत होगे।पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में तुम्हारी संलिप्तता से मैं काफी हर्षित हूँ।तुम्हारे पापा बता रहे थे कि इनदिनों तुम कुछ विदेशी भाषा सीख रहे हो जो अच्छी बात है।भाषा संवाद का एक माध्यम है और जितनी अधिक भाषा की हमें जानकारी होगी उतना ही हम अन्य व्यक्तियों के साथ अंर्तसंबंध बनाने में सक्षम होंगे परन्तु एक बात का ध्यान रखना है कि हमारी जो मातृभाषा है उससे ही हमारी पहचान है इसलिए हमें अपनी भाषा पर गर्व करना है।जहाँ आवश्यक न हो वहाँ हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि हम अपने विचार अपनी भाषा में ही रखे। क्योंकि भाषा ही हमारी संस्कृति और संस्कारों की संवाहिका होती है। मातृभाषा में ही व्यक्ति ज्ञान को उसके आदर्श रूप में आत्मसात कर पाता है। भाषा से ही सभ्यता एवं संस्कृति पुष्पित-पल्लवित और सुवासित होती हैं।इसलिए हमें मातृभाषा की महत्ता समझनी ही होगी। उसके महत्व को समझकर ही हम अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ न्याय करने में भी सक्षम हो सकेंगे।एक आदर्श नागरिक के रूप में हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम अपनी संस्कृति के संवाहक बने और अपने ज्ञान का विस्तार करें।

      इसलिए तुम्हारी माँ की तुमसे यही आशा है कि एक आदर्श पुत्र की भाँति तुम अपनी मातृभूमि के प्रति निष्ठावान बनो और अपने होने पर गर्व करो।अपनी पहचान को बनाए रखो इसमें ही जीवन की सार्थकता है।इन्हीं शब्दों के साथ तुम्हें मेरा बहुत-बहुत प्यार और आशीर्वाद।ईश्वर सदा तुम्हारे साथ रहें इसी मंगलकामना के साथ… 

                          तुम्हारी माँ

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