प्रिय पुत्री साक्षी ,
स्नेहिल आशीर्वाद।
आशा करती हूं तुम स्वस्थ एवं कुशल होगी । आज इस पत्र के माध्यम से मैं तुम्हे अपनी मातृभाषा के बारे में वो सब बताना चाहती हूं जो शायद तुम्हे नहीं पता होगा । जब तुम हिंदी पढ़ती हो बेटी तो तुम सिर्फ शब्दों को नहीं सीखती हो बल्कि तुम सीखती हो हमारे संस्कारों को, हमारी संस्कृति को । हिंदी हृदय की भाषा है और ये दिलों को जोड़ती है। भाषा सिर्फ भावों को प्रकट करने का साधन ही नहीं बल्कि हमारी पहचान होती है। जैसे जड़विहीन पेड़ हरा भरा नहीं हो सकता ठीक वैसे ही मातृभाषा के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान खो देता है। मां की लोरी ,दादी नानी के किस्से कहानियां इन सबकी आत्मा हिंदी में ही बसती है।
अंग्रेजी में तुम्हारी दक्षता मुझे गर्व तो देती है लेकिन मेरी बच्ची ! एक बात सदैव ध्यान में रखना अंग्रेजी साधन है पर हिंदी पहचान है। इसका हमेशा सम्मान करना।
स्नेह सहित
तुम्हारी मां