उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर खून के धब्बे थे। पेट में मरोड़ उठ रही थी। बड़ी मुश्किल से कराते हुए वह खड़ा हो पाया। तभी उसकी छोटी बहन तानिया आकर जोर से बोली “बाप रे इतनी देर से उठे हो चाय कौन बनाएगा? मुझे भूख लगी है।”
आशु ने करुणा भरी दृष्टि से उसे देखा और कहा
“मेरी तबीयत ठीक नहीं है आज जाओ तुम खुद ही चाय बना लो।”
“तुम्हें तो रोज नहीं बहाने रहते हैं।” तान्या ने तुनक कर कहा
“मां…” और चिल्लाती हुई मां के पास पहुंची।
थोड़ी देर जब वह सैनिटरी पैड लेकर बाथरूम जाने को निकला तान्या मां के साथ आ खड़ी हुई
“क्या हुआ? मैं खाने की तैयारी में लगी हूं । तुम थोड़ा चाय चढ़ा दो। तानिया को भी भूख लगी है ।
मां ने आते-आते कहा।
“मां मैं वह …” उसने सेनेटरी पैड की तरफ देखते हुए कहा ओह! अच्छा चलो तान्या मैं ही बना देती हूं चाय। मां तान्या को लेकर रसोई की तरफ़ बढ़ी तो तान्या ने मुंह फूला लिया।
दोपहर को आशु बिस्तर पर लेटा है जब तान्या आ धमकती है। भाई मुझे खाना दो।
“जाओ मां से मांग लो.. मेरे पेट में दर्द हो रहा है।” आशु ने लेटे लेटे कहा।
“तुम्हें तो रोज कुछ ना कुछ होता ही रहता है। मां घर पर नहीं है कहीं गई है।”
“हां तो तुम खुद ले लो ना। “
“तुम निकाल दो मुझे मैं नहीं जाऊंगा।”
आशु उठकर किचन की तरफ़ कराहते हुए बढ़ा।
शाम को आशु अपने कमरे में बैठा है जब फिर तानिया आकर कहती है
“मां ने कहा है छत से कपड़े ले आओ और आयरन करके सबको अपनी जगह पर रख दो।”
“तुम्हें कितनी बार बताया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं। तुम जाकर ले आओ ना।” आंसू ने पेट पकड़ते हुए कहा। “नहीं, मैं खेलने जा रही हूं । तुम ले आओ। मेरे दोस्त मुझे बुला रहे हैं। कहते हुए तानिया तेजी से बाहर निकल गई। यह धीरे छत की सीढ़ियां चढ़ता है।
अगली सुबह आशु बाथरूम से निकलकर मुंह हाथ धो रहा है जब मां कहती है “तानिया के कमरे में अच्छे से झाड़ू लगा देना बेटा बहुत गंदा हो गया है।”
“मां, मेरे पैर में दर्द हो रहा है मेरा मन नहीं कर रहा। उसे कहो ना खुद कर ले।
“ओह हो!मैं भी उसी हालत में काम करती हूं कि नहीं। तुम्हें भी आदत डाल लेनी चाहिए। आख़िर काम तो हमें ही करने हैं।”
“क्यों, हमें ही क्यूं करने हैं? तान्या और पापा हमारी मदद क्यों नहीं कर सकते? वो भी इस हालत में।” आशु ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा।
“तुम इस हालत को लेकर इतना परेशान क्यों होते हो? ये हम सभी का तो होता है। और घर के काम तो औरतों का ही है।
हां मगर… मैं.. मैं तो औरत नहीं। उसने चौंकते हुए कहा
“हां, तभी तो औरत की पीड़ा नहीं समझते।” उधर से त तान्या अचानक बड़ी हो गई और बड़ी बड़ी आंखें दिखाते हुए बोली।
हां, फिर मुझे पीरियड क्यों? कैसे? वह चौंकता है।
तभी अलार्म की आवाज से उसकी नींद खुलती है। ओह अच्छा तो ये सपना था… सपने में मुझे पीरियड्स… शुक्र है भगवान का मैं लड़का हूं।
उसने राहत की सांस ली।
तो..क्या पीरियड्स इतना दर्द होता है!! उसने पलट कर बगल की बेड से दीदी को पेट पकड़े उतरते देखा।
रुको दीदी.. आशू ने रोका।
क्या हुआ? वह चौंकी
तुम बैठो। आज मैं चाय बना दूंगा और झाड़ू भी लगा दूंगा। और अगले 4 दिनों तक तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है।
कहते हुए वो तेजी से कमरे से बाहर निकला।
तान्या खड़ी सोच में पड़ गई
“क्या हो गया है कहीं कोई सपना तो नहीं देख लिया।” बाथरूम की तरफ बढ़ते हुए उसने सुना
रसोई में आशु चाय चढ़ाते हुए मां से कह रहा है
“मां जब घर हम सभी का है तो घर के काम भी तो उन सभी के हुए ना।”
मां हैरान हुई “तुझे क्या हो गया कोई सपना आया है क्या?”
“हां सपना ही तो आया था लाल सपना।”
आशु ने मुस्कुराते हुए कहा।
चांदनी समर