“सुग्गी और चीचू”
एक छोटे से गाँव में सुग्गी नाम की एक प्यारी सी बच्ची रहती थी। उसकी आँखों में सपनों की चमक और दिल में दया का सागर था। सुग्गी को पक्षियों से बहुत प्यार था, और उसका सबसे अच्छा दोस्त था एक हरा तोता, जिसका नाम था चीचू। चीचू पेड़ की डाल पर बैठकर सुग्गी के साथ गीत गाया करता था, और सुग्गी उसे अनाज के दाने खिलाती थी। एक दिन, गाँव में सूखा पड़ा। नदियाँ सूख गईं, और पेड़ों की पत्तियाँ पीली पड़ गईं। चीचू को भोजन नहीं मिल रहा था, और वह कमजोर हो रहा था। सुग्गी ने देखा कि चीचू की चहचहाहट धीमी पड़ गई है। उसने सोचा, “मैं अपने दोस्त को कैसे बचा सकती हूँ?” उसने अपने घर के आखिरी अनाज के दाने चीचू को दे दिए, लेकिन वह जानती थी कि यह काफी नहीं है। सुग्गी ने प्रार्थना शुरू की। वह रोज़ सुबह अपने हाथ जोड़कर ईश्वर से चीचू और गाँव के लिए बारिश माँगती। उसकी मासूमियत और पवित्र इच्छा ने आसमान को भी छू लिया। एक दिन, जब वह प्रार्थना कर रही थी, चीचू ने उसे देखा और अपने पंखों से हल्की हवा बनाई, जैसे वह उसकी प्रार्थना में शामिल हो रहा हो। तभी आकाश में काले बादल छा गए, और मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। बारिश ने गाँव को नया जीवन दिया। नदियाँ फिर से बहने लगीं, और पेड़ों पर हरी पत्तियाँ लौट आईं। चीचू फिर से चहचहाने लगा, और सुग्गी की खुशी का ठिकाना न रहा। गाँव वाले सुग्गी की नन्ही सी कोशिश और उसके प्यार को देखकर हैरान थे। उन्होंने सीखा कि दया और मेहनत से हर मुश्किल हल हो सकती है। सुग्गी ने चीचू से कहा, “दोस्ती और प्रेम ही असली ताकत है।” चीचू ने सिर हिलाया, मानो कह रहा हो, “हाँ, सुग्गी, हमेशा ऐसा ही रखना।” उस दिन से, गाँव में हर बच्चा अपने आसपास के प्राणियों की मदद करने लगा। सुग्गी और चीचू प्रेम और एकता का प्रतीक बन गए।
नैतिक शिक्षा: यह कहानी सिखाती है कि छोटी-छोटी कोशिशें और प्यार से बड़ी समस्याएँ हल हो सकती हैं। दूसरों की मदद करना और प्रकृति के प्रति सम्मान रखना हमें एक बेहतर इंसान बनाता है।
सुग्गी और चीचू
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