हिंदी के महत्व को समझाते हुए माता का पुत्र के नाम पत्र नाम पत्र – KUMARI KANTI

प्यारे पुत्र,                                                    स्नेहिल शुभ आशीष                                          मुझे पूर्ण उम्मीद है कि तुम जहां भी हो स्वस्थ एवं प्रसन्न रहकर अपने भविष्य के साथ-साथ राष्ट्र निर्माता बनो। तुम्हारा पत्र पढ़कर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा कि तुम मनोयोगसे  अध्ययन कर रहे हो, और अपने लक्ष्य के प्रति सकारात्मक रूप से अग्रसर हो रहे हो। तुम्हारा पत्र पढ़ कर बहुत खुशी हुई कि तुम अंग्रेजी मन लगाकर पढ़ रहे हो। यह अच्छी बात है क्योंकि किसी भाषा विशेष का ज्ञान रखना हमारा पवित्र कर्तव्य है। परंतु अंग्रेजी भाषा के ज्ञान से हमारे अंदर मानवीय गुणों का उतना विकास नहीं होगा , जितनी कि अपनी मातृभाषा से। सही अर्थों में अपनी मातृभाषा में विशेषज्ञता हासिल करके ही देश के सफल कर्मयोगी बन सकते हो। हिंदी न केवल हमारी मातृभाषा है अपितु हमारे संस्कार, संस्कृतियों और अभिव्यक्तियों का सशक्त माध्यम है। अपने भारत में करोड़ों लोग हिंदी भाषी हैं। हमारे देश के अधिकतर विद्वानों की रचनाएं हिंदी में ही है। अंग्रेजी सीखना अच्छी बात ,पर सर्वप्रथम अपनी मातृभाषा को प्राथमिकता दो। अपनी मातृभाषा को सम्मान देकर ही राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़े रह सकते हो, क्योंकि हिंदी हमारी जान,शान,मान और पहचान है।                                                                                          तुम्हारी मां

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply