प्यारे पुत्र,
शुभाशीष।
मैं आशान्वित हूं तुम आनंदित होंगे। साथ हीं ईश्वर से तुम्हारे स्वर्णिम भविष्य की शुभेच्छा रखती हूं।
मैं आजकल विद्यालय में आगामी “हिंदी दिवस” 2025 की तैयारी में तल्लीन हूं ।हिंदी से हम सबों का आत्मीय एवं भावनात्मक लगाव है। उनकी सबसे अधिक विशेषता है कि यह जैसी बोली जाती है, वैसी हीं लिखी जाती है। हिंदी बोलने में प्रेम शालीनता सहजता एवं अपनापन की अनुभूति होती है।
पुत्र तुम अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे हो,लेकिन तुम्हें अपनी मातृभाषा से भी लगाव रहनी चाहिए , क्योंकि तुम कठिन से कठिन विषय वस्तु को भी अपनी मातृभाषा के माध्यम से सरलता से समझ सकते हो। हिंदी हमारी राजभाषा है, साथ ही देश में अधिकांशत लोगों के द्वारा बोली जाती है। हमारे राज्य के लगभग शत प्रतिशत लोग हिंदी भाषी हैं ।हम सबों के पास हिंदी के असंख्य शब्दों का संचय अनायास हीं है जबकि अन्य भाषा को समझने के लिए शब्दकोश की आवश्यकता होती है ।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था –” हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय – हृदय से बातचीत करता है, और हिंदी हृदय की भाषा है”। हमारे ऐतिहासिक और पौराणिक अनेक ग्रंथ जो हमें जीवन के यथार्थ और उद्देश्य को बताती है वे सभी हिंदी में हैं ।
बेटा, मेरी शुभेच्छा है कि तुम जीवन में कामयाबी के शिखर तक पहुंचो लेकिन हिंदी के साथ तुम्हारा अनन्य प्रेम बना रहे ।जैसा मैंने तुम्हें जन्म दिया है उसी प्रकार हिंदी ने तुम्हें बोलना सिखाया है। यह हमारी परंपरा, संस्कृति है और हमारे देश की एकता के सूत्रों में पिरौती है।
विशेष अनन्य स्नेह और आशीर्वाद
तुम्हारी “मां”
हिंदी- मां का संदेश पुत्र के नाम – Om Kumar Das

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