विद्यालय में उत्सव का माहौल था।बच्चे शिक्षक दिवस की तैयारियों में लगें थें। कहीं कुछ बच्चे गुब्बारे में हवा भर रहे थे तो कहीं बच्चे रंगोली बना रहे थे। एक तरफ बच्चों का हुजूम फूलों की माला बना रहा था तो दूसरी तरफ कुछ बच्चे पोस्टर पर अपनी चित्रकारी बिखेर शिक्षकों को समर्पित कर रहे थें। कक्षा के कुछ बच्चे श्यामपट्ट पर चॉक से शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं या हैप्पी टीचर्स डे लिख रहे थे। उन सभी बच्चों के अगुआ कुछ बड़ी कक्षा के छात्र छात्राएं किस शिक्षक को क्या उपहार देना है, केक कौन काटेगा, रिबन काट कार्यक्रम की शुरुआत कौन करेगा इस पर चर्चा कर रहे थे।
वही कोने में खड़ा छोटू चुपचाप इन सभी चीजों को होते हुए देख रहा था। कहीं कोई भागीदारी नहीं, बस चुपचाप उदास सा। शिक्षक की नजर उस पर पड़ी और उन्होंने छोटू को आवाज दी, “छोटू इधर आना।”
शिक्षक की आवाज सुन छोटू भागता हुआ उनके पास आया, “जी सर, आपने बुलाया?”
शिक्षक ने कहा, “हाँ ,मैं काफी देर से तुम्हें देख रहा, तुम खोये खोये से उदास हो। क्या बात है?”
“कुछ नहीं सर,” छोटू ने कहा।
“नहीं, कोई बात है तो बताओ।”
छोटू ने कहा, “सर, अम्मा के पास पैसा नहीं था तो आज उन्होंने पैसा नहीं दिया है। अब मैं आपलोगों को क्या उपहार दूँगा।”
शिक्षक ने मुस्कुराते हुए कहा, “बस इतनी सी बात। बेटा, शिक्षक के प्रति उसके छात्र का प्रेम, सम्मान और परवाह यही सबसे बड़ा तोहफा होता है। उस तोहफे के आगे दुनिया के सारे तोहफे गौण हैं। और तुमने ये तो हमें दे दिया है। तुम्हारा हम शिक्षकों के प्रति प्रेम और लगाव सबसे बेशकीमती तोहफा है। सदैव खुश रहो और हम सबका नाम रौशन करो।”
छोटू मुस्कुराते हुए अपने शिक्षक को प्रणाम कर तैयारियों में लग गया।
रूचिका
प्राथमिक विद्यालय कुरमौली गुठनी सिवान बिहार