आवाज़ के बादशाह मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसम्बर 1924 को लाहौर में हुआ था।इनके पिता का नाम हाजी अली मोहम्मद तथा माता का नाम अल्लाहराखि था। मो0 सफी, मो0 दीन, मोहम्मद इस्माइल, मो0 इब्राहिम,मो0 सिद्दीकी इनके भाई थे।इनके बहन का नाम चिराग बीबी और रेशमा बीबी था।दिलीप कुमार,किशोर कुमार,ऋषि कपूर,राज कपूर इनके पसन्दीदा अभिनेता और मधुबाला, रेखा,साधना,नरगिस दत्त पसन्दीदा अभिनेत्री थी। पहली पत्नी बशीरा बीबी से बेटा सईद, दूसरी पत्नी बिल्किस बनो से बीटा खालिद, हामिद, बेटी-परवीन यास्मीन, नाश्रीन है। 1941 ईसवी में रफी जी को आल इंडिया रेडियो लाहौर में गाना गाने के लिये आमन्त्रित किया गया।1948 में महात्मा गाँधी की हत्या के बाद हुस्नलाल मंगतराम, राजेन्द्र कृष्ण और रफ़ी के टीम ने रातों रात सुनो,सुनो ए दुनियावालों बापूजी की अमर कहानी गीत का निर्माण किया,जिसके चलते उन्हें जवाहरलाल नेहरू द्वारा आमन्त्रित किया गया और उन्हें उनके घर पर गाने का अवसर दिया गया।उन्होंने विभिन्न संगीतकारों के साथ जैसे नौशाद, एस. डी. बर्मन, शंकर जयकिशन ओ.पी. नैयर,रवि जी थे।लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के लिये उनका आखरी गीत गाया गया-शाम क्यों उदास है दोस्त, तू कहीं आस है दोस्त जो उनकी मृत्यु से कुछ घंटे पहले ही रिकार्ड किया गया। 1977 में उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से तथा1967 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उनका देहान्त 31 जुलाई 1980 को हृदय गति रुक जाने के कारण हुआ।उन्होंने 28000 गाने गाए।मोहम्मद रफी की याद में भारत सरकार द्वारा 2016 में डाक टिकट जारी किया गया।

उन्होंने बच्चों के लिये-“नन्हें मुन्हें बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है”गीत गाया।
उस्ताद गुलाम अली खान की निगरानी में उन्हें संगीत की प्रतिभा को निखारा गया।आरंभ में उन्होंने एक फकीर को गाते हुए सुना और उससे प्रेरित होकर खुद भी गाने की कोशिश की। 1946 में नौशाद द्वारा रचित फ़िल्म अनमोल घड़ी के गीत, तेरा खिलौना टूटा से उन्हें पहचान मिली। इसके बाद शहीद, मेला,दुलारी, जैसे फ़िल्मां में भी गाना गाये जो बहुत ही लोकप्रिय हुए। रफी जी एक धार्मिक और व्यसनों से दूर रहते थे।उन्हें पतंग उड़ाने का बहुत बड़ा शौक था। वे एक विनम्र और शर्मीले स्वभाव के व्यक्ति थे मोहम्मद रफी एक प्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक थे। वे भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान और प्रभावशाली गायकों में से एक थे।उनके कुछ प्रसिद्ध गाना निम्न हैं। फ़िल्म बैजू बावरा के गीत-“मन तड़पत हरि दर्शन को आज,ओ दुनिया के रखवाले, गोपी फ़िल्म के गीत-सुख के सब साथी”….
फ़िल्म नया रास्ता में-ईश्वर अल्लाह तेरे नाम,गंगा तेरा पानी अमृत, खानदान फ़िल्म के बड़ी देर भई नंदलाला, फ़िल्म बसंत बहार में बड़ी देर भई कब लोगे खबर, फ़िल्म चित्रलेखा के गीत मन रे तू काहे न धीर धरे,फ़िल्म अमर में इंसाफ का मंदिर है ये…फ़िल्म गंगा धाम में मोर भंगिया के मना द हो भैरोनाथ…देशभक्ति गीतों में अपनी आजादी को हम मिटा सकते नहीं…. अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो…ये देश है वीर जवानों का….हम लायें है तूफान से…..शास्त्रीय संगीत में उन्होंने 1960 में बनी फिल्म कोहिनूर में मधुवन में राधिका नाची रे…
फ़िल्म सूरज के लिये-बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है….
1960 में चौदहवीं का चांद हो तुम…1961 में फ़िल्म ससुराल के लिये -तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नजर न लगे…..1968 में ब्रह्मचारी फ़िल्म के लिये-दिल के झरोखों में तुझको बिठाकर…..1977 में फ़िल्म हम किसीसे कम नहीं. का गाना क्या हुआ तेरा वादा……
1977 में अपनापन फ़िल्म में आदमी मुसाफिर है आता है जाता है….1979 में फ़िल्म जानी दुश्मन का गाना चलो रे डोली उठाओ कहार…. फ़िल्म दोस्ताना में मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया…1980 में कर्ज फ़िल्म का गाना दर्द ए दिल दर्दे जिगर दिल में जगाया आपने…. फ़िल्म अब्दुल्ला में मैंने पूछा चाँद से देखा है कहीं मेरे यार की हँसी….
ये सारे गीतों को गाकर दिखा दिये कि ये आवाजों के बादशाह हैं।
ऐसे महान गायक कलाकार के पुण्यतिथि पर कोटिशः नमन।
प्रेषक-हर्ष नारायण दास
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय घीवहा
फारबिसगंज
जिला -अररिया