एक लघु नाटिका कास्टिंग सीन-जंगल का दृश्य। (अंधेरी रात,जंगल में शेर,चीता, भालू,सियार तथा अन्य जानवरों की आवाज,इसी बीच जंगल में लकड़ी काटने की आवाज) काटो, जल्दी काटो। मोटी-मोटी सीसम, सागवान,महोगनी,आम,जामुन… वृक्ष की व्यथा- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
“पर्यावरण की तबाही”- श्री विमल कुमार “विनोद”
कास्टिंग सीन-बचाओ,बचाओ,अरे कोई तो बचाओ,बचने का कोई भी उपाय तो बताओ। चारों ओर तबाही ही तबाही नजर आ रही है।(नेपथ्य से आश्चर्य पूर्वक ) तबाही ,अरे किस बात की तबाही।… “पर्यावरण की तबाही”- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
“औघड़”- ,पार्ट-02- श्री विमल कुमार “विनोद”
संक्षिप्त सार-महेश एक साधारण गरीब परिवार का लड़का जो कि गणित से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद लगातार नौकरी की तलाशी में रहता है लेकिन रोजगार नहीं प्राप्त… “औघड़”- ,पार्ट-02- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
जीत की हार-संजीव प्रियदर्शी
मनोहर अपनी बूढ़ी मां को कोर्ट के फैसले की प्रतिलिपि दिखाते हुए जरा हास मुख से बोला- ‘ मां,देखो न! हमने मुकदमा जीत लिया है।आज हमारे लिए बेहद खुशी के… जीत की हार-संजीव प्रियदर्शीRead more
जनसंख्या-विस्फोट
कास्टिंग दृश्य-शहर के चौक का दृश्य।समय-एक बजे दिन।(बहुतसारे बच्चे हाथों में कटोरा में रखीभोजन को खाने के लिये छीना-झपटी कर रहे हैं)।हमको खाने दो,भूख लगी है।भूख से मेरी जान निकली… जनसंख्या-विस्फोटRead more
चुड़ैल का डर- श्री विमल कुमार” विनोद”
सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित श्री विमल कुमार” विनोद” लिखित लघुकथा।यह लघुकथा सुदूर ग्रामीण क्षेत्र का है जहाँ पर गाँव के छोर में एक विशालकाय वट वृक्ष है,जहाँ पर गाँव की… चुड़ैल का डर- श्री विमल कुमार” विनोद”Read more
गरीबी की कब्र पर पनपी हँसी-श्री विमल कुमार” विनोद”
एक बड़े शहर के चंराहे पर सुबह के 10 बजे एक चमचमाती हुई कार ट्रैफिक पर आकर लगती है।उसी समय एक लड़की जो कि फटी हुई सलवार तथा पायजामा पहनी… गरीबी की कब्र पर पनपी हँसी-श्री विमल कुमार” विनोद”Read more
झगड़ैया”-अंगिका लघुकथा -श्री विमल कुमार”विनोद”
“झलिया”नाम केरो एगो पाँच बच्छर केरो लड़की जे कि भोरे सुति ऊठी केरो बाद से ही जिनगी भर गाँव घरो म जरा जरा बातो में झगरा करैय छलय। ऐकरे उपर… झगड़ैया”-अंगिका लघुकथा -श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
हाहाकार- श्री विमल कुमार”विनोद”
एक लघु नाटिका पृष्ठभूमि- गर्मी,गर्मी,शरीर गर्मीसे जल रहा है,जीवन जीना दूभर हो गया है,गर्मी की उमस ने तो जीना मुश्किल सा कर दिया है।बचाओ,इस उमस भरी गर्मी से बचाओ।(तभी अचानक… हाहाकार- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
बैगलेस शनिवार -मीरा सिंह “मीरा”
आठ वर्षीय रामू अहले सुबह बिना किसी की आवाज लगाए स्वत: उठा ही नहीं बल्कि अपने स्कूल के जूते भी साफ करने लगा।यह देख उसकी मां को बहुत हैरानी हुई।वो… बैगलेस शनिवार -मीरा सिंह “मीरा”Read more