बात पुराने समय की है। किसी राज्य में एक बादशाह थें। उन्हें अपने राज – काज चलाने में कठिनाई हो रही थी । जिसके कारण उन्होंने मंत्री की बहाली की सोची । अगले दिन होकर बादशाह ने मंत्री पद के लिए साक्षात्कार रखा । अंतिम चयनित व्यक्तियों में एक आकर्षक व दूसरा कुरूप था । बादशाह ने उनमें से पहले व्यक्ति को नहा – धोकर आने के लिए कहा । इस बीच बादशाह के साथ मात्र दूसरा व्यक्ति रह गया । बादशाह ने उससे कहा – ” उन बातों पर यकीन नहीं होता , जो तुम्हारे साथी ने तुम्हारे बारे में कही हैं ।” कुरूप व्यक्ति बोला – ” यदि उसने मेरे बारे में कुछ कहा है तो सही ही कहा होगा । व्यक्ति को स्वयं अपना दोष दिखाई नहीं देते ; जबकि दूसरा उन्हें आसानी से देख लेता है । वह बहुत अच्छा व्यक्ति है ।” ऐसा कहते हुए उसने पहले व्यक्ति की बहुत प्रशंसा की । तभी वह व्यक्ति जो नहाने गया था, नहा – धोकर आ गया तो बादशाह ने कुरूप व्यक्ति को स्नान के लिए भेज दिया । अब उन्होंने उससे कहा – ” तुम्हारा साथी तुम्हारी बहुत बुराई कर रहा था ।” इतना सुनते ही वह व्यक्ति गुस्से से तमतमा गया और दूसरे के विषय में अनर्गल बातें बोलने लगा । यह सुनकर बादशाह बोले – ” मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्धारण आंतरिक सदगुणों से होता है ।” ऐसा कहकर उन्होनें बिना देर किए कुरुप व्यक्ति को मंत्री पद प्रदान कर दिया ।
शिक्षा – हमें किसी भी व्यक्ति के रूप या बाहरी सौंदर्य से नही बल्कि सदगुणों से पहचान करनी चाहिए ।
आशीष अम्बर
( विशिष्ट शिक्षक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
प्रखंड – केवटी
जिला – दरभंगा
बिहार