प्रिय श्रेयश,
चिरंजीवी हो,
मैं आज कुछ विशेष, बात कहने जा रही हूँ। मेरी अंग्रेजी भाषा कमजोर है, इसलिए मैं हमेशा चाहती थी, मेरे बच्चे अंग्रेजी में दक्ष हो। निजी विद्यालयों में तुम्हारा नामांकन करवाया, तुम्हें अंग्रेजी फटाफट बोलते देख मैं गर्वित होती। पर पांचवीं कक्षा तक आते तुम्हारी हिन्दी की पकड़ देख बहुत मायूस हो जाती थी। सरल शब्दों के उच्चारण में भी तुम्हें लड़खड़ाते देख, मुझे ग्लानि होने लगी। मैंने तुम्हारी हिन्दी पर खुद मेहनत करना शुरू किया। कठिन शब्दों को लिखवाती, और समझाती बेटा, सिर्फ अंग्रेज़ी को जानना, तो ये हो गया जैसे बिना जड़ का पेड़, पेड़ के पत्तों पर कितना भी पानी डालो, जड़ सुख गया तो आखिर पेड़ का क्या होगा? और समाज की भाषा से अनजान रहोगे तो समाज की भावनाओं से भी अनजान रह जाओगे। इसलिए हिन्दी जो हमारी जनमानस की भाषा है, उस पर अतिरिक्त ध्यान दो। आज तुम अंग्रेज़ी सहित सभी विषयों में दक्ष हो, और हिन्दी को भी मजबूती से पकड़े हो। गर्व है तुम्हारे बैकअप से बेटा।
बहुत अच्छा कर रहे हो तुम, अब दसवीं में आ गए हो, तुम सभी विषयों में शत-प्रतिशत नंबर पाओ, मेरी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ है।
तुम्हारी मम्मी