परिचय- साफ-सफाई हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह हमारे जीवन की प्राथमिकता भी है। स्वच्छता जरूरी है क्योंकि साफ-सफाई से हम जीवन में आने वाली कई परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं।
स्वच्छता का अर्थ है सफाई से रहने की आदत। सफाई से रहने से जहां शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं स्वच्छता तन और मन दोनों की खुशी के लिए आवश्यक है। स्वच्छता, सभी लोगों को अपनी दिनचर्या में अवश्य ही शामिल करना चाहिए।स्वच्छता, स्वच्छ रहने की एक अमूर्त अवस्था है और उस अवस्था को प्राप्त करने व बनाए रखने की आदत है। हिंदू धर्म में, स्वच्छता एक महत्वपूर्ण गुण है, और भगवद् गीता इसे उन दिव्य गुणों में से एक बताती है जिनका पालन सभी को करना चाहिए। माता-पिता और शिक्षक बचपन में सफाई की बुनियादी आदतें सिखाते हैं।
स्वच्छता के 7 प्रकार- व्यक्तिगत स्वच्छता, पर्यावरणीय स्वच्छता, घरेलू स्वच्छता, भोजन/खाद्य स्वच्छता, नींद स्वच्छता, चिकित्सा स्वच्छता और पानी और सफाई (जल-प्रणाली) शामिल हैं। इनमें व्यक्तिगत स्वच्छता में शरीर, बाल, नाखून और कपड़ों की स्वच्छता आती है, जबकि पर्यावरणीय स्वच्छता में अपशिष्ट प्रबंधन और सुरक्षित जल निकास शामिल है।
डॉक्टरों का कहना है कि बेहतर सफ़ाई ने लोगों में बैक्टीरिया और धूल के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को कम कर दिया है, जो आम एलर्जी का कारण बनते हैं।
स्वच्छता क्यों महत्वपूर्ण- हमारे लिए शरीर की स्वच्छता बहुत जरूरी है, जैसे रोज नहाना, स्वच्छ कपड़े पहनना, दांतों की सफाई करना, नाखून काटना, आदि। इसके लिए हमें प्रतिदिन सुबह जैसे ही हम सोकर उठते हैं, अपने दांतों को साफ करना चाहिए। इसके कई लाभ हैं, जैसे बेहतर स्वास्थ्य, कम तनाव, उत्पादकता में वृद्धि और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य। स्वच्छता शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक सद्भाव, आत्मविश्वास, और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह बीमारियों के प्रसार को रोकती है, स्वच्छ वातावरण बनाए रखती है, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है, और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। व्यक्तिगत सफाई से लेकर सामुदायिक और पर्यावरणीय सफाई तक, यह हर स्तर पर जीवन को बेहतर बनाती है।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगी “बाहर भी दिखाओ अपने घर के संस्कार, तभी होगा स्वच्छ भारत का सपना साकार।”
नेहा कुमारी
रा. स. हरावत राज उच्च माध्यमिक विद्यालय, गणपतगंज
सुपौल (बिहार)