मनुष्य को अपने सामर्थ्य के अनुसार हीं जीवन में खर्च करना चाहिए। ऐसा नहीं कि आमदनी अठन्नी हो और हम खर्चा रूपया करें। अपनी आमदनी के हिसाब से हीं अपना… तेते पाँव पसारिए- मनु कुमारीRead more
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हिंदी में रोजगार की संभावनाएं- आशीष अम्बर
हिंदी हमारे देश की राजभाषा है। आज हिंदी भाषा के बढ़ते चलन और वैश्विक रूप ने रोजगार की अनेक संभावनाओं को उजागर किया है। विविध क्षेत्रों में इसकी स्वीकृति और… हिंदी में रोजगार की संभावनाएं- आशीष अम्बरRead more
अकेलापन और एकांत- गिरीन्द्र मोहन झा
अकेलापन बहिर्मुखी और एकांत अन्तर्मुखी होता है। धारावाहिक महाभारत में पितामह गंगापुत्र भीष्म का एक संवाद है, “धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति अकेला होता है। धर्म व्यक्तिगत होता है। धर्म… अकेलापन और एकांत- गिरीन्द्र मोहन झाRead more
शिक्षा और संवेदना- अरविंद कुमार
नित नई-नई कहानी रचता,नित नया-नया आविष्कार करता यह मानव आगे बढ़ता, सरपट चांद को छूने के पश्चात मंगल की ओर कदम बढ़ाने के रास्ते पर उन्मुख। इन सारी सफलताओं, इन… शिक्षा और संवेदना- अरविंद कुमारRead more
अहिंसा परम धर्म है- मनु कुमारी
एक बार एक बहेलिया भगवान महावीर के पास आया और बोला-भगवन! मैं आपके धर्म में शामिल होना चाहता हूं और आपसे दीक्षित होना चाहता हूं। भगवान महावीर ने कहा –… अहिंसा परम धर्म है- मनु कुमारीRead more