अकेलापन और एकांत- गिरीन्द्र मोहन झा

अकेलापन बहिर्मुखी और एकांत अन्तर्मुखी होता है। धारावाहिक महाभारत में पितामह गंगापुत्र भीष्म का एक संवाद है, “धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति अकेला होता है। धर्म व्यक्तिगत होता है। धर्म… अकेलापन और एकांत- गिरीन्द्र मोहन झाRead more