मेरी प्यारी बिट्टी
कैसी हो ? यहां हम सब ठीक हैं और मां शारदे से अपनी अनुकंपा तुम पर बनाए रखने के लिए सदा प्रार्थना करते हैं।
तुम्हारे विद्यालय से निवेदित हुआ है की 14 सितंबर को हिंदी-दिवस का कार्यक्रम तुम्हारे विद्यालय में आयोजित की जानी है और उसमें तुम भी भाग ले रही हो ,जरूर लेना । अपनी मातृभाषा है हिंदी जो वचन में मिश्री से मधुर और लेखन में, व्याकरण में वैज्ञानिकता से भरी हुई है ।सोचो ना , किसी कुत्ते की भूं भूं ने भूंकना शब्द बनाए ,चिड़िया की चूं चूं ने चहचहाना और बकरी के में में से मिमियाना ।सोचो क्या किसी और भाषा या अंग्रेजी के शब्द विन्यास में विभिन्न आवाजों और उसके लिए बनाए गए शब्दोंमें इतनी समानता है। तुम्हें तो पता ही है की हिंदी राजभाषा है पर क्या तुम यह जानती हो यह राजभाषा कब बना और इसके लिए प्रस्ताव किसने किया था ?
तो सुनो शोना हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 ई को दिया गया और इसके लिए सबसे पहले प्रस्ताव दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण विद्वान श्री गोपाल स्वामी आयंगर जीने दिया था जबकि कांग्रेसक नेता के तर पर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग बाल गंगाधर तिलक ने की थी। हमने पहली बार हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया और उसकेबाद प्रत्येक वर्ष 1 से 14 सितंबर तक हिंदी पखवाड़ा मनाते हैं ।
मेरी बच्ची जैसे हमारी संस्कृति में हर अंश के प्रति कृतज्ञ हैं वैसे ही हिंदी में भी हर शब्द अक्षर जिसने एक शब्द बनने में अपना योगदान किया है उसके प्रति कृतज्ञता है और वह उच्चारण में अपना स्थान पाता है जबकि अन्य भाषाओं में बहुत सारे वर्ण लुप्त होते हैं जो लेखन में तो दिखते हैं लेकिन उच्चारण में उनका कोई स्थान नहीं होता।
तो अपनी हिंदी को उतना ही प्रेम उतना ही सम्मान और उतना ही अपनाना जैसे अपनी मां को । इसी आशा के साथ कि अपनी मातृभाषा का यश चतुर्दिक फैला सकने की क्षमता मां शारदे तुममें भरे ।
स्वस्थ रहो यशस्विनी बनो
तुम्हारी मां