गाँव-गंवई भाषा में समय की वास्तविकता पर आधारित लघुकथा।
संक्षिप्त सार-जानवरों की चौपाल जिसमें कुत्ते,बिल्ली, कौआ,मैना
गाय,बैल,भेड़-बकरी सारे चिंतित नजर आ रहे हैं।इसी बीच एक सूट-बूट पहना जेनटलमेन आॅटो
रिक्शा से उतर कर बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है।उसी समय उसका एक मित्र जोर-जोर से बुला कर कह रहा है,मोहन,ऐ मोहन,लेकिन मोहन कहाँ रूकने वाला।इसे देखकर सारे जानवर अपने में बहुत खुश है कि अब क्या होगा,जब आदमी-आदमी की बात नहीं सुनता है।किसी के बीमार पड़ने पर कोई देखने नहीं आता है,किसी के मरने पर लाश लेने वाला नहीं मिलता है।
कथा विस्तार- रामू नामक एक व्यक्ति जो कि झारखंड का एक हटिया जा रहा था,तभी वह देखता है कि एक नदी के किनारे
गाय,बैल,भेड़,बकरी,कौआ,मैना,कुत्ता,बिल्ली सभी आपस में चिंतित मुद्रा में कुछ सोच रहे हैं।
तभी एक कुत्ता रामू को देखकर जोर-जोर से भौंकना शुरू किया तभी रामू कहता है कि क्यों जोर-जोर से भौंक रहे हो?
कुत्ता-(बहुत अफसोस करते हुये)
बड़ी दुःख की बात है कि दुनियाँ में बहुते लोग लगातार मरते जा रहे हैं,कोई किसी को बचाने वाला नहीं है,कोई मरता भी है तो परिवार वाले उसका लाश भी लेने
वाला नहीं है।
फिर सब जीव चिंतित हो रहा है कि अब क्या होगा,संसार के पालक हमलोगों की रक्षा तो करो।
कौआ-मैना,सर्प,भेड़,बकरी सब मिल कर कह रहे हैं कि नदियों को अभी भी बालू चोर कोंड़ते जा रहा है,हमलोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है इसे देखकर लग रहा है कि अब क्या होगा?ऐसी ही बात एगो काॅलेज में एक नागराज तड़पकर बोल रहा है,कोई मुझे बचा ले,मैं गर्मी से तड़प रहा हूँ।यह देखकर काॅलेज के प्रोफेसर साहब को दया आ जाती है,वह बचाने की कोशिश करते हैं,लेकिन नागराज दुनियां से बिदा होने के पहले तड़प-तड़प कर कह रहा है कि हाय रे दुनियां
के जालिम मनुष्य तू तो कोरोना के जाल में फंस गया,लेकिन तूने मेरे जैसे जीवों को भी बर्बाद कर दिया।अब तूझे ही बताना होगा कि”अब क्या होगा”?
पूरा बाजार,गाँव चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ है,बाजार की गलियों में,सड़कों में लगभग दुकानें बंद हैं,झारखंड सरकार के द्वारा पूरी तरह से लाॅकडाऊन लगा दिया है साथ ही बिहार तथा भारत सरकार के द्वारा लाउडस्पीकर के द्वारा घोषणा की जा रही है कि कोई भी व्यक्ति कोरोना से बचाव के आदेशों का उल्लंघन करेंगे तो बख्शे नहीं जायेंगे।इसी कोरोना वायरस के संक्रमण काल में इस लघुकथा के लेखक को भी विद्यालय जाना पड़ता है,जहाँ उसे ऐसा महसूस हुआ कि बहुत सारे लोग ई लाॅकडाउन से बहुत खुश भी हैं,काहे कि विद्यालय बंद रहने के कारण से कुछ समान चोरवा को भी लेके भागे का मौका मिल जाता है।ई कोरोनवा से अभी भी लोग को सबक नय मिल पा रहा है कि लोग विद्यालय के जमीन भी हड़पे का हिसाब-किताब लगा रहा है,ई सब देख के लगता है कि,”अब क्या होगा”?लगता है कि एक तो कोरोना के लहर आउरो ओकरा में बियाह के जोर,दूनों में कोय दम धरे वाला नहीं है।तीसरा कोरोना के लहर में मरे वाला के अंतिम श्राद्ध आउर भोज के नेवता।खाय जाय के तो मन करता है लेकिन ई कोरोनवा से डर भी लगता है।अखबार पढ़ के तो कभी-कभी लगता है कि जब बढ़का-बढ़का नेतववा दुनियाँ से चला गया,बढ़का डाॅक्टर भी मर गया तब भी हम्मर सबके क्या होये वाला है।इसी बीच पाँच-छौ गो शादी आउर दू-तीन गो श्राद्ध के नेवता हमको भी मिला है, लेकिन ई कोरोनवा के बाड़ देखके
हम्मर हिम्मत काम नय कर रहा है और हम सोंचने को मजबूर हो जाते हैं कि,”अब क्या होगा”?एक दू गो भोज में ठेला के ठेला पूड़ी- बूँदिया,मिठाई,सब्जी फेंका जा रहा है,जे देखके समाज के सभे लोग चिंतित हो रहा है कि,”अब क्या होगा”?इसके बाद भी एगो अयसन खबर कि एक घर में एगो लड़का का बियाह था,और एक दिन पहले एगो जवान लड़का कोरोना के चक्कर में ई दुनिया से चला गया जिसे देखकर परिवार वालों को ऐसा लगा कि”अब क्या होगा”?
कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित लोगों के दुःख-दर्द को देखकर ऐसा लगता है कि,”अब क्या होगा”?ई तो दुनियां के एगो बढ़का संकट नजर आ रहा है,कि कोई भी किसी को देखने,बचाने को आगे नहीं आ रहा है।इसी दरम्यान एक ऐसा भी दृश्य देखने को मिला जहाँ एक ओर नदी के किनारे कोरोना पीड़ित की अंतिम क्रिया की जा रही है तो उसी के बगल महुआ और पोलट्री का लोग मजा लेकर कह रहा है कि,अरे भाई”अब क्या होगा”ओकरा तो खेल खत्म हो गया अब केकरा नंबर लगल है,इहे खातिर मस्ती कर लेते हैं।
ई सब नाटक-नौटंकी आउरो खेल तमाशा देककर लेखक को लगा कि,”अब क्या होगा”?जिसके बारे में 25%लोग तो इ सोचें में ही मर जायेगा।तब अपना मनसूबा लगाते हुये बोला कि देखो भाई साहब लोग ई कोरोनवा में मरे-हेराय वाला आदमी के खबर मत पढ़ो,मास्क का प्रयोग करो,दो गज की दूरी बनाये रखो,अपना बचाव करते रहो,खान-पान का ख्याल रखो।सबसे बड़ी बात है कि जीवन के निराशाजनक बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
इन सभी बातों के अलावे,”अब क्या होगा खे संबंध में चिंता मत कीजिये।
“छोड़ो कल की बातें,कल की बात पुरानी,नये प्रयास से जीत लेंगे कोरोना वायरस को जड़ से भगाने की कहानी”।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद”
शिक्षाविद।