मोनू नामक एक छोटा सा बालक जिसकी माता अपने पति के प्रताड़ना से त्रस्त होकर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लेती है।
बात ऐसी है कि रबिया नामक एक लड़की की शादी भुटरू नामक एक लड़के से होती है।शादी के बाद के शुरूआती दिनों में तो दोनों के बीच प्रगाढ़ संबंध रहता है।भुटरू मजदूरी का काम करता है।काम से छुट्टी होने के बाद भुटरू जब घर आता है तो उसके साथ मजदूरी करने वाले उसको शराब की दुकान में बैठाकर
शराब पिलाने लगते हैं।धीरे-धीरे शराब पीना इसकी मजबूरी तथा आदत सी बन जाती है।इसके बाद वह प्रतिदिन जब काम करने के बाद घर वापस होता है तो शराब के नशे में धूत रहता है।शाम के समय में घर आने पर वह शराब के नशे में मोनू की मां से कचकच भी करता रहता है तथा भद्दी-भद्दी गालियां भी देता है।मोनू की माँ एक संभ्रांत परिवार की महिला है,जो कि बहुत हद तक अपने पति की बदतमीजी को बर्दाश्त करने की कोशिश करती है,लेकिन धीरे-धीरे भुटरूअपनी बदतमीजी की हद को पार कर चुका है।आगे चलकर भुटरू बहुत पीने लगा है
और अब उसकी सारी कमाई शराब में ही बर्बाद हो जाती है।घर खर्च के लिये भी पैसे नहीं रहते हैं।एक दिन भुटरूअपनी पत्नी से लड़ाई-झगड़ा करके रात में बिना कुछ बताये ही पत्नी के जेवर-जेवरात लेकर निकल जाता है।सुबह भुटरू की पत्नी को बहुत दुःख होती है कि उसका पति बिना कुछ बताये ही गर के सारे जेवर-जेवरात लेकर भाग गया।उसके बाद वह मजदूरी करके अपना और अपने बच्चे का पालन पोषण करती है।एक दिन की बात है कि वह बिमार पड़ जाती है।वह घर में बिमारी की स्थिति में पड़ी हुई है।मोनू बच्चों के साथ बाहर में खेल रहा है,तभी उसकी माँ जो कि बिमार है,दिल का दौरा पड़ता है और उसकी असामयिक निधन हो जाती
है।अब मोनू अनाथ हो चुका है।एक दिन वह बच्चों के साथ खेलते हुये बहुत दूर भटक जाता है।वह भूख और प्यास से तड़पकर रो रहा है।
ठीक उसी समय एक मजदूर जो कि काम करके घर लौट रहा है तभी वह
उस बच्चे को भूख से बिलखते हुये देखकर वहाँ रूक जाता है।वह उस बच्चे के पास जैसे ही जाता है,वह बच्चा उससे पापा-पापा कहकर उस मजदूर के सीने से लिपट जाता है।मोनू को इस प्रकार से सीने से
लिपटते हुये देखकर उस मजदूर के दिल में सोया हुआ पितृत्व प्रेम उमड़
पड़ता है,क्योंकि उसकी पत्नी को एक भी बाल-बच्चा नहीं रहने के कारण वह और उसकी पत्नी भी पुत्र प्राप्ति के लालायित सी रह रही थी।
वह आदमी मोनू को गोद मेें ले जाकर पहले बहुत सारे मिठाई खिलाता है,
बहुत सारे खिलौने तथा कपड़े खरीद कर मोनू को देकर अपने घर ले जाता
है।उस मजदूर की पत्नी जिसका नाम रानी है,जो कि संतान विहीन हैअपने पति के गोद में एक बालक को देखकर खुशी से झपट्टा मारकर उस बच्चे को गोद में लेकर मातृत्व प्रेम से ओतप्रोत होकर आलिंगन करने लगती है। इसके बाद तो रानी के घर में खुशियों की बहार सी आ जाती है।मोनू अपनी जिन्दगी का खुबसूरत पल पाकर अपनी पढ़ाई-लिखाई को आगे जारी रखता है तथा जीवन में आगे चलकर तरक्की के चरम शिखर पर पहुँच जाता है।इस प्रकार हम देखते हैं कि मोनू को अपने जीवन का “आशियाना” मिल गया।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद”प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा
बांका(बिहार)।
“आशियाना”-श्री विमल कुमार “विनोद”
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