सामाजिक अंधविश्वास पर आधारित श्री विमल कुमार” विनोद” लिखित लघुकथा।
यह लघुकथा सुदूर ग्रामीण क्षेत्र का है जहाँ पर गाँव के छोर में एक विशालकाय वट वृक्ष है,जहाँ पर गाँव की महिलायें आकर वट- सावित्री का व्रत करती थी।एक रात की बात है कि उस”वट-वृक्ष” के पास रात के अंधेरे रोशनी हो रही थी,जहाँ बैठकर लोग मस्ती कर रहे थे। यह देखकर लोगों के मन में”चुड़ैल का डर”समा जाता है और गाँव के लोग उस पेड़ की ओर आना-जाना छोड़ देते हैं।लोगों के उस ओर नहीं आना- जाना करने से उस पेड़ के नीचे कूड़ा-कचरा का ढेर लग जाता है।
इसके बाद उस गाँव में रात को चोरी होने लगती है,जो लोगों को समझ में आती है कि इस पेड़ में रहने वाली “चुड़ैल”ही रात को निकल कर लोगों के घरों में चोरी करती है। रात के समय उस वट-वृक्ष के नीचे रोशनी भी दिखाई देती है तथा कुछ लोगों की आवाज भी सुनाई देती है। यह भी सही है कि गाँव वालों में चुड़ैल का खौफ समझ में आने लगता है।उस वृक्ष के बगल में एक सरकारी विद्यालय भी है। एक दिन की बात है जब कि मास्टर साहेब जो कि धोती-कुर्ता पहने हुये थे जब उस वृक्ष के पास दिखाई देते हैं तो लोगों में भय का माहौल पैदा होने लगा। लोगों को लगने लगा कि आज उस वृक्ष से चुड़ैल निकली है और लोग डरकर भागने लगते हैं। मास्टर साहेब जैसे-जैसे गाँव की ओर बढ़ने लगे गाँव के आदमी गाँव छोड़कर भागना शुरू कर दिये।लेकिन मास्टर साहेब का मिशन जारी था और पीछे तरफ से एक आदमी को खप्प से पकड़ लेते हैं,इसके बाद तो गाँव में हाहाकार सी मच जाती है कि आज तो राजू को चुड़ैल पकड़ कर ले गया।यह देखकर पूरे गाँव वालों में”चुड़ैल का खौफ”समा गया है तथा इससे बचने के लिये लोग अपने-अपने घरों में मिरचाई,भेलवा,नींबू लटका देते हैं तथा अपने-अपने घरों के चारों ओर गोबर का घेरा दे रखे हैं।इस बीच राजू को मास्टर साहेब रूपी चुड़ैल पकड़ कर वट-वृक्ष के पीछे स्कूल में ले जाते हैं तथा उसको समझाने की कोशिश करते हैं कि देखो कि तुमलोगों के मन में जो इस पेड़ में चुड़ैल का डर बना हुआ है,जो कि पूरी तरह से भ्रम है।इसके बाद राजू से पूरा गाँव वाला डर रहा था तथा राजू को चुड़ैल के डर से गाँव घूसने नहीं दे रहा था।इसी कारण राजू तीन दिनों तक उसी वृक्ष के पास भूखे-प्यासे बैठा ही रह गया।दूसरी रात राजू को लगा कि आज इस वृक्ष के ऊपर बैठकर देखूँ कि आखिर इस गाँव में कौन सा चुड़ैल आकर चोरी करता है।रात के ठीक दो बजे कुछ डकैत उस वृक्ष के पास आये,फिर वहाँ लकड़ी जला कर माँस बनाकर उसके साथ शराब पीये और मस्ती के साथ डकैती के रूपये का बँटवारा कर के वहाँ से चला गया।
इसके बाद मास्टर साहेब राजू को विद्यालय में रखकर शिक्षा देने लगे तथा उसको गाँव से लोगों को पकड़ कर लाने के लिये भेजने लगे लेकिन गाँव वाला राजू को गाँव में आते देखकर भागने लगता।इसके बाबजूद भी राजू झपट्टा मारकर जिसको पकड़ पाता पकड़ कर विद्यालय में ले जाता जहाँ मास्टर साहेब उनलोगों को शिक्षा देने का प्रयास कर रहे थे।इसी तरह से राजू लगभग दस लोगों को पकड़ कर मास्टर साहेब के पास ले जाता है जहाँ पर उनको शिक्षा दी जा रही थी।इसी बीच गाँव के लोगों को लगा कि चुड़ैल गाँव के लगभग दस लोगों को पकड़ कर खा गया और उसको चुड़ैल बना देता है।यही सोंचकर गाँव वालों ने सोचा कि” एगो ओझा”को बुलाकर चुड़ैल को पकड़वा दिया जाय और गाँव को चुड़ैल के खौफ से मुक्त करवा दिया जाय।
ओझा को बुलवाया गया तथा ओझा आकर कहता है”ऊं क्रीं हूँग फट कहकर कहता है कि देखो इस बड़ गाछ में कई चुड़ैल है जो कि इस गाँव के लोगो का खून पीकर मोटा गया है।गाँव वाला ओझवा का पैर पकड़कर रोते हुये कहता है कि बाबा हमलोगों को बचा लीजिये।ई बात सुनकर ओझवा कहता है कि सुन लो हम्मर चेलवा सब कि परसों अमावस्या की रात में तुम लोगों को दस ठो पांठा और 101 बोतल शराब और चीट वाला गांजा चढ़ाना होगा।साथ ही गाँव की महिलाओं को अपने पास बुलाते हैं।यह सोच कर गाँव वाले डर गये और कोई भी अपनी घर की महिला को वहाँ भेजना नहीं चाह रहे थे,लेकिन मजबूरी में एक महिला तैयार हो गई। पूरा गाँव के लोग ओझवा के चक्कर में फंस कर चुड़ैल को भगाने के लिये उत्साहित होकर ढोल-बाजा के साथ चुड़ैल को भगाने के लिये दीप,धून-धूमना,तुतरू,बेल पत्र, धूप घांस के साथ थाली में महिलायें अरवा चावल और एक-एक लोटा जल लेकर ओझवा को चारों ओर से घेर ली है।इसी बीच इस गाँव में एक भक्त भी पहुँच जाते हैं तथा इस गाँव की दुर्दशा को देख रहे हैं।ओझवा अपना बड़ा जटा को खोल दिया है तथा कभी-कभी ओम चामुंडाये नमः,कभी जय मां का नाम लेकर वहाँ पर अरवा चावल का फूलास भी धरते हैं। कभी-कभी चीख कर जय काली मेरा वचन न जाये खाली कहकर ग्लास शराब को ढाल कर थोड़ा जमीन पर गिराते हैं तो थोड़ा पी जाते हैं।इसके साथ ही वह उस गाँव की महिलाओं को बैठाकर रखता है।इसी बीच गाँव का एक लड़का गुस्से में आकर एक पत्थर से बहुत जोर से उ ओझवा को मारकर स्कूल में भागकर चला जाता है तथा मास्टर साहेब को कहता है कि अब आप ही इस गाँव को बचा सकते हैं।वह आदमी जाकर मास्टर साहब को कहता है कि साहेब उ ओझवा गाँव के महिलाओं की गलत तरीके से झाड़-फूंक भी करता है और कहता है कि साल भर का अनाज भी जमा कर लिये। इतना सुनने की देरी कि मास्टर साहेब अपने दसों शिष्य के साथ डंडा लेकर उ ओझवा को मारने के लिये उसपर कूद पड़े। देखते ही देखते ओझवाअपना झोला जिसमें यंतर- मंतर का ढेर सारा समान था, पांठा सभै छोड़कर भागने लगता है,यह देखकर गाँव वाले भी मास्टर साहेब के साथ हो जाते हैं।
उसके बाद राजू अपने जीवन की आपबीती बताते हुये कहता है कहता है कि गाँव में कोई चुड़ैल चोरी नहीं करती थी,बल्कि कुछ चोर आकर इस गाँव के लोगों के घरों में चोरी करता था जिसे मैंने एक रात बरगद के गाछ पर चढ़कर रात में बैठकर देखा था।इस तरह मास्टर साहेब लोगों में शिक्षा का प्रसार करके लोगों को समझाते हैं कि गाँव में चुड़ैल नाम का कोई भी चीज नहीं है,यह लोगों का मात्र एक अंधविश्वास तथा मानसिक डर है।
इसके बाद मास्टर साहेब ग्रामीणों को कहते हैं चलो हमलोग मिल- जुलकर बरगद पेड़ के पास की गंदगी को साफ करते हैं।ग्रामीण अब उस शिक्षक की बात को मान जाते हैं तथा वट-वृक्ष के साथ- साथ समूचे गाँव की साफ-सफाई करते हैं तथा लोगों को पढ़ने को कहते हैं।साथ ही ग्रामीणों के साथ पूरे क्षेत्र में वृक्षारोपण कराते हैं।पूरे क्षेत्र में मास्टर साहेब की प्रशंसा होने लगती है तथा चारो ओर हरियाली छाने लगती है तथा लोगों के मन से”चुड़ैल का डर” समाप्त हो जाता है।अंत में मास्टर साहेब को गाँव के लोगों के द्वारा समूचे गाँव को चुड़ैल के अंधविश्वास से बचाने के लिये मास्टर साहेब को समाज के लोगों के द्वार माल्यार्पित करके सम्मानित किया गया तथा गाँव के लोगों ने मास्टर साहेब को बहुत बहुत-बहुत बधाई दी गई।लोगों का मानना है कि जीवन को सही रास्ता दिखाने वाले शिक्षक ही होते हैं,जिसके बिना लोगों का विकास असंभव है।साथ भी सभी तरह की समस्याओं की जननी अशिक्षा ही है।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद”प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय
पंजवारा,बाँका(बिहार)
चुड़ैल का डर- श्री विमल कुमार” विनोद”
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