जिज्ञासा से जानकारी तक-लवली वर्मा

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जिज्ञासा से जानकारी तक

बात मेरे गाँव की है।श्रेया, एक बहुत जिज्ञासु लड़की थी।वह मेरे पड़ोस में रहती थी।वह तीन बहनो में सबसे छोटी थी।उसकी बड़ी बहन मेरी सहेली थी।श्रेया और उनकी बहनों का मेरे घर प्रतिदिन आना-जाना लगा रहता था।
एक बार श्रेया की दोंनो बहनों के साथ मैं वार्तालाप कर रही थी।उन्होंने कहा ,”पता है।आजकल श्रेया माँ से कुछ अलग तरह के प्रश्न पूछती है।”तब मैंने कहा,”कुछ अलग तरह के प्रश्न से तुम्हारा मतलब क्या है।”तब उन्होंने कहा माहवारी से संबंधित प्रश्न होते है।तब मैंने कहा वह तो अभी 9 वर्ष की है न।उन्होंने कहा हम महीने के उन पांच दिनों में कुछ अलग तरह से चुपचाप रहते है।हमारे उदर के निचले हिस्से में भी दर्द रहता है।कभी तो ऐसी परिस्थिति आ जाती है हम दर्द से बेहोश भी हो जाते हैं।यह सब देख इसलिए उसके अंतर्मन में कई सवाल उठ खड़े होते हैं।इन सवालों के उत्तर वह अपनी माँ से पूछती है।आखिर उनकी बहनों को महीने के इन पांच दिनों में ऐसा क्या हो जाता है।वह अपनी जिज्ञासा को शांत करना चाहती थी और यह जानना चाहती है उनकी बहनों को कोई गंभीर समस्या तो नहीं है।
मैंने उनलोगों को समझाया कि क्या होगा अगर हम उसकी जिज्ञासा को जानकारी तक पहुंचा दे।तब उसे आगे परेशानी नहीं होगी।वह उन परिस्थितियों का सामना कर पाएगी।
एक दिन शाम होने वाली थी।श्रेया को लेकर उनकी दोनों बहनें मेरे यहाँ आयी।हम सभी ने नास्ता किया ।फिर छत पे गए और हम चारों टहलने लगे।बातों बातों में मैंने पूछा चलो एक दूसरे से सवाल पूछते हैं।मैंने जान बूझकर श्रेया को कहा कि पहले तुम्हारी बारी है।तब उसने मुझसे कई सवाल पूछे।अंत में उसने माहवारी से संबंधित प्रश्न पूछ ही दिया।अब हमारी बारी थी उसे समझाने की।
अब हम सभी चटाई पर बैठ गए।मेरी बात माहवारी के परिचय से शुरू हुई।तुम्हारी बहनों को कोई गंभीर समस्या नहीं हुई है।यह स्तिथि माहवारी कहलाती है।माहवारी को ‘पीरियड्स’,’मासिक धर्म’,’ब्लीडिंग’,मेंस्ट्रूएशन’ भी कहते हैं।माहवारी गर्भधारण का भी संकेत देता है ।माहवारी के दौरान महिला के गर्भाशय से योनि द्वारा रक्तश्राव होता है।यह रक्तस्राव 2-5 दिन या फिर 2-7 दिनों तक चलता है।एक महिला को चाहिए कि माहवारी के दौरान वह स्वयं का ख्याल रखे और इसमें परिवार की भी भूमिका अहम है।माहवारी आने से पहले महिला के शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं।जैसे-उदर के निचले हिस्से में दर्द,ऐठन,उल्टी आदि।इससे घबराने की जरूरत नहीं है।बस देखभाल करना है।माहवारी कोई समस्या नहीं परंतु माहवारी न होना एक समस्या है।माहवारी समय पर या न होने से गर्भधारण में समस्या होती है।नियमित माहवारी होना एक स्वस्थ महिला का परिचायक है।माहवारी महिलाओं में 10-11 वर्ष की आयु से आरंभ होकर 45 वर्ष से 50 वर्ष तक की आयु तक चलता है।माहवारी चक्र सामान्यतः 28 दिनों का होता है ।45 -50वर्ष की आयु के पश्चात यह चक्र समाप्त हो जाता है।इसे मीनोपॉज कहते हैं।माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करना चाहिए।गंदे कपड़े के इस्तेमाल से कीटाणु उत्पन्न होते है जिससे रोग उत्पन्न होता है।रोग होने से गुप्त अंग प्रभावित होते हैं जिससे बाद में गर्भधारण करने में समस्या होती है।
माहवारी स्वच्छता की महत्ता पर सबों को ध्यान देने की आवश्यकता है तभी महिलाएं स्वस्थ रहेंगी और बेहतर तरीके से परिवार का विकास करेंगी। माहवारी के दौरान साफ-सफाई अत्यंत आवश्यक है।महिलाओं को पौष्टिक आहार भी लेना चाहिए।पेट दर्द से बचने के लिए योग का भी सहारा लेना चाहिए।
महिलाओं की माहवारी के संबंध में गांव-समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा।
मेरी इन बातों को वह बहुत ध्यान से सुन रही थी।पर अचानक उसने मुझसे पूछा की दीदी मैं तो समझ गयी पर एक बात मेरे समझ से बिल्कुल परे है।तो मैंने कहा-‘वो क्या’?तो उसने कहा कि उसकी माँ उसकी बहनों से उन पांच दिनों में कहती हैं कि अचार मत छूना,तुलसी माता को जल मत देना,किचन में प्रवेश मत करना और भी बहुत कुछ।तब मैंने उसकी जिज्ञासा को फिर शांत किया।उसे बताया कि ये सारी बातें मिथक और अंधविश्वास है।ऐसा कुछ भी नहीं होता है।इसलिए हमें लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है।तभी सभी इस अंधविश्वास से बाहर आ पाएंगे।सरकार भी मासिक धर्म से जुड़े मिथकों को दूर करने के। उद्देश्य से अभियान चला रही है।लोगों को अब अपनी सोच बदलनी होगी।
श्रेया अब बहुत खुश थी।उसे उसके सवालों के जवाब मिल चुके थे।उसकी जिज्ञासा जानकारी तक पहुँच चुकी थी।

लवली वर्मा

प्राथमिक विद्यालय छोटकी रटनी हसनगंज कटिहार
कटिहार,बिहार

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