“झलिया”नाम केरो एगो पाँच बच्छर केरो लड़की जे कि भोरे सुति ऊठी केरो बाद से ही जिनगी भर गाँव घरो म जरा जरा बातो में झगरा करैय छलय। ऐकरे उपर श्री विमल कुमार”विनोद”लिखल”
“झगरैया” लघुकथा अंगिका भाषा में प्रस्तुत छय।
भागलपुर के पास केरो एगो गाँव में “झलिया”नाम केरो एगो लड़की छलय।उ बचपने से बात-बात में झनक-पटक करि के लराय झगड़ा करय छलय।ऐहे कारणो से ओकरा गाँवो में”झगड़ैया”कहि के सबै बोलाय लगलय।इ झगरैया जेकरो नाम”झलिया”छलय केरो आदत छेलय कि उ कउनो गलत बात या समाज केरो कउनो उलटा-पुलटा बात पर बाते बात में
गाँव घरो केरो आदमी से झगरा करे लागय छलय।ई झगरैया केरो एगो खुबी छलय कि उ कउनो गलत बात बर्दाश्त न करय
छलय,जेकरा चलते ओकरो चर्चा समूचे टोला-मोहल्ला में होय छलय।झगरैया जे कि बाते बात म लरी जाय छलय,जेकरो समस्या करो फैसला गाँव करो आदमी करय छलय।
एकरो बाद झगरैया करो बियाह बहुत मुश्किल से होलय।झगरैया ससुरारी में जाय करो बाद एक दिन पानी लानल कुंया में घयलो लय के गेलय,जहाँ करो जनानी सनि बाते बात में अपनो घयला के आगू पाछू करय छलय,जे कि
झगरैया से देखि के सहलो नय गलय आरो उ झगरा करे लगलय।ओकरो बाद सभै मिली के झगरैया केरो झगरा खतम करयल कय।
“झगरैया”अपनो करनामा से बाज नय आवे वाला छलय।एक दिन झगरैया करो ससुरारी केरो पास वाली गोतनी केरो बच्चा दौड़ी के सड़को पर चली गलय,जेकरा एगो सायकिल सवार बूरोह आदमी धक्का लगाय दलकय।ई बातो पर सभै मिली के उ बूरोह आदमी के मारो-फारो करे लागलय,जे कि झगरैया देखि रहलो छलय।जबै झगरैया से गाँव वाला करो गलति सहलो नय गलय तबै आउरो उ अपनो बगल वाली गोतनी से ई बातो पर लरि गलय आरो कहे लगलय कि तोरो समझो में नय आवय छौं कि छोटो बच्चा के सड़क पर छोड़ी दय छौ।जखनि तोंय अपनो बच्चा के सम्हारि के नय राखे पारय छौ तो दोसरा के दोस कथिले दय छौ।
एक रात करो बात छय कि झगरैया करो घर केरो बगलो में एगो पियांक रोजे दिन दारू पीबी के आबि के अपनो कनियाय केरो संगे मारपीट करय छलय।एक दिन जबे ओकरो बगल वाला करो घरअ में सांय आरो कनियाय केरो बीच लड़ाय होय लागलय आरो एका एक ओकरो कनियाय करो कांदय करो आवाज अयलय तो उ झगरैया के लगलय कि,कि बात होय गलय कि बगल वाली केरो घरो में कांदय करो आवाज आबी रहलो छय।झगरैया करो मन नय मानलकय आरो उ ओकरो घरो में देवारो करो भूरकि से हुलके लागलय ,जेकरा देखि केय झगरैया रो माथो खराब होय गलय।झगरैया देखल कय कि
उ बगल वाली करो मर्दें अपनो कनियाय के ठोंठो चांपी के मारी
दलकय। एकरो बाद तो सगरो टोला में हल्ला होयल लागलय कि फलनवां रो कनियाय तो मरि गलय।ई बात आगि रंग पूरे गाँवो में फैली गलय। हेकरो बाद ई खबर देखते-देखते थाना पर पहुँची गलय।ई खबर सुनि के दरोगा बाबू तुरंते अपनो दल-बल करो साथ झगरैया करो गाँव पहुँची गलय।ओकरो बाद तो सभै कहे लागलय कि ओकरो मरण अपने से होय गलय।ई बात झगरैया करो मनो में नय भाये लागलय आरो उ आबि के कहलकय कि”हौव दरोगा बाबू ऐकरो मरण करो सांच बात कहियोन”।ई सुनि के सभै कहलकय कि कहो तोरा कहै केरो मौका देलो जाय रहलो छय।ऐकरो बाद झगरैया जे सांच बात कहलकय कि सुनो,”काल रातिं लगभग दस बजी रहलो छलय तखनि हमरो बगल वाला घरो में ओकरो कनियाय करो कांदे करो आवाज सुने के मिललय। ई सुनि के हम्महूं दौड़ी के देखल गेलियय, जहाँ केरो हाल देखि के हमरो शरीर केरो रौंवा कांपी जाय छय कि बगल वाला भाय जी अपनो कनियाय के दारू करो नशा में ठोंठो चांपी के मारी दलकय”। ऐकरो बाद कि कहना चारो दिशा में”झलिया”जेकरा झगरैया नाम से जानलो जाय छय करो नाम करो चर्चा चारो तरफ होय लागलय।
“झलिया”जेकरा गाँव समाज केरो आदमी झगरैया नाम से चर्चित करि देलकय,अबै ओकरा दूर-दूर तक पंचायती करे खातिर बोलायल लागलय आरो ओकरो ख्याति बढ़ी लागलय।ओकरो बाद झगरैया केरो पंचायती करे के बात जिला में पहुँचे लागलय।जे हो “झगरैया झगरा तो करय छलय लेकिन सच्चा बात बोले से कभियो पीछू नय हटय छलय”।ई सब सुनि के जिला से एकरो नाम पुरस्कार केरो खातिर मुख्यमंत्री तक भेजलो गलय आरो “अंत में ओकरा बिहार केरो मुख्यमंत्री केरो हाथो से न्याय केरो क्षेत्र में सुन्दर काम करय करो खातिर पुरस्कृत करलो गेलय”।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद”प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा, बाँका (बिहार)।
झगड़ैया”-अंगिका लघुकथा -श्री विमल कुमार”विनोद”
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