दयालु मीना।

एक बहुत मनमोहक गांव था जिसका नाम “फूलपुर”था। वह गांव चारों तरफ से फूल, फल के पौधों से घिरा हुआ था जो उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। उसी गांव में एक लड़की रहती थी जिसका नाम मीना था, मीना गांव में सभी की मदद करती थी इसलिए सभी उसे दयालु मीना कहते थे। मीना को गांव के आस – पास के सभी पशु – पक्षियों से भी बहुत प्रेम था। मीना के घर के पास एक पीपल का वृक्ष था जिस पर एक तोता रहता था जिसका नाम “गुंजा” था। एक रात बड़े जोड़ों की बारिश आई जिसमें “गुंजा” का घोंसला टूट गया। अगली सुबह मीना ने ये देखा तो बहुत उदास हुई तभी उसे “गुंजा” की आवाज सुनाई दी है –  हिम्मत कभी ना हारो, हिम्मत कभी ना हारो, मत देखो कितनी दूरी है, कितना लंबा मग है, और न सोचों साथ तुम्हारे आज कहां तक जग है, लक्ष्य प्राप्ति की बालिवेदी पर अपना तन- मन वारो, हिम्मत कभी ना हारो, हिम्मत कभी ना हारो।”

गुंजा तोते की बात सुनकर मीना मुस्कुराते हुए बोली वाह मित्र तुमने तो मेरी आँखें खोल दी, अब हम दोनों मिलकर तुम्हारे घर को बनायेंगे।

शिक्षा – हमें विपरीत परिस्थिति में भी घबराना नहीं चाहिए। सहयोग की भावना हमेशा रखनी चाहिए। अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने का प्रयास करते रहना चाहिए।

नाम – शैलेन्द्र कुमार (विशिष्ट शिक्षक)

विद्यालय – उत्क्रमित मध्य विद्यालय बथनाहा

प्रखंड – मोतीपुर

जिला – मुजफ्फरपुर

राज्य – बिहार।

मोबाइल नंबर – 9199975213.

चित्र संख्या – 5.

 

 

 

 

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