दीपिका बहुत ही सुंदर थी, मृदुभाषी, पढ़ने-लिखने में अव्वल, कॉलेज में भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, संगीत प्रतियोगिता इस तरह की सारी प्रतियोगिताओं में वह प्रथम स्थान प्राप्त करती थी। बिल्कुल साधारण ढंग से रहने वाली वह लड़की थी, उसे देखकर कोई कह ही नही सकता था कि इतनी विशेषता उसके अंदर होगी।
बस अपने काम से काम रखती, न ही कोई दिखावा, न ही उच्श्रृंखलता और न ही खुद को श्रेष्ठतर साबित करने की उसकी होड़ थी।
उसकी सहेली मंजूषा जो बचपन से ही उसकी सहेली थी। स्कूल, कॉलेज, घर हर जगह उसके साथ परछाई की तरह रहती थी। कई बार दीपिका से कह चुकी थी तुम तो बेवकूफ हो यहाँ कितनी लड़कियाँ हैं जिन्हें कुछ नहीं आता पर हर जगह उनकी चर्चा होती।उनकी एक वीडियो को हजारों व्यूज मिलते। पर तुम्हें तो इन सबसे कोई मतलब ही नहीं है।
दीपिका कहती, मंजूषा यह सब मैं दूसरों को दिखाने के लिए नहीं करती बल्कि अपनी आत्म संतुष्टि के लिए क़रतीं। तुम्हें तो पता है जो भी मैं क़रतीं वह पूरी ईमानदारी और शिद्दत से क़रतीं और काम में कोई भी बेईमानी पसंद नही शायद इसीलिए मेरा भाषण हो या निबंध या वाद विवाद हर चीज को सराहा जाता। और कॉलेज में इतने लोग देखते तारीफ करते यह क्या कम है जो रिल्स बनाकर या युट्यूब पर डालकर प्रसिद्धि पाऊँ।
मंजूषा कहती ,अरे यार मैं कौन-सा कह रही कि तुम अलग से कुछ करो, जो क़रतीं बस उसे ही तो डालना है और इसी बहाने तुम्हारी प्रसिद्धि होगी तो मेरी भी थोड़ी हो जाएगी। मैं सबसे कहूँगी ये मेरी सहेली है।
दीपिका हँसने लगी, मगर वह इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।
मंजूषा एकदम चुप हो गयी वह कर भी क्या सकती थी। वह कह ही सकती थी न, और करना तो दीपिका को ही था।
तभी उसके कॉलेज में एक नई लड़की आई नाम था श्वेता, इंस्टाग्राम पर उसके बहुत सारे रिल्स वह देख चुकी थी और अक्सर वह देखती रहती थी। उसे वह अपने आदर्श के रूप में देखती थी और उसके रिल्स की दीपिका पूरी तरह दीवानी थी और हो भी क्यों न इतने अच्छे वह रिल्स बनाती थी कि तुरंत वायरल हो जाते हजारों लाइक्स, शेयर और फॉलोवर्स मिनटों में बन जाते थे।
दीपिका को ऐसा लगता था कि वह बहुत खास होगी, सबसे अलग, सबसे विशेष, सर्वगुण सम्पन्न।
पर आज जब श्वेता कॉलेज में एडमिशन ली तो दीपिका को उसे जानने का मौका मिला।
वह एकदम साधारण-सी लड़की थी।हर चीज में औसत दर्जे की चाहे पढ़ाई हो या संगीत। वाद-विवाद, भाषण इन सब में तो वह भाग भी नहीं ले सकती थी।
मगर हाँ उसकी एक विशेषता थी कि स्वयं को ढंग से सजाकर वीडियो और रिल्स बनाना जिसके कारण वह वायरल हो जाती और उसकी प्रसिद्धि थी।
यह सब देखकर दीपिका के मन में भी स्वयं को वायरल करने की इच्छा जगी। बोलती तो वह अच्छा थी है मेकअप वगैरह में वह शून्य थी अपनी समस्या उसने मंजूषा को बताई और मंजूषा ने यह जिम्मा ले लिया। मंजूषा दीपिका को तैयार कर वीडियो बनाने में मदद करती।
शुरू शुरू में तो एक दो लोग ही उसका वीडियो देखते। दीपिका का उत्साह ठंडा पडने लगा।
मगर फिर दोस्तों रिश्तेदारों को लिंक शेयर कर फॉलोवर्स बढ़ाए जाने लगे।
दीपिका के अंदर वायरल होने की ललक इतना बढ़ गयी कि वह सब कुछ छोड़ रिल्स, वीडियो के प्रचार पर ध्यान देने लगी।
वायरल का जोश तो पूरा हो गया मगर दीपिका काफी बदल गयी। यह दीपिका पहले वाली दीपिका से बिल्कुल अलग थी।
अब हर छोटी बड़ी चीजों का रिल्स बनाना वीडियो बनाना उसे सोशल मीडिया पर डालना और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए मेहनत करना उसका लक्ष्य हो गया।
इस तरह बाकी चीजों पर उसका ध्यान कम हो गया।
मंजूषा की एक सहेली वायरल होने के चक्कर में दूर होती गयी, घर वालों की चहेती दीपिका बदल रही थी।
रूचिका
रा. उ. म. वि. तेनुआ, गुठनी सीवान बिहार