अंतरिक्ष का अंतहीन संसार हमेशा से मानव मन में अनेकों जिज्ञासाओं को जन्म देता रहा है। बचपन में दादी-नानी के किस्सों में यह परियों और देवताओं का निवास स्थान रहा तो कभी स्वर्ग और नर्क जैसी अवधारणाओं से जुड़ गया।रात में लाखों, करोड़ों नहीं बल्कि अरबों तारों के झिलमिल प्रकाश से बनता तिलिस्म मानव मन- मस्तिष्क को हमेशा से इस दुनिया के अन्वेषण को प्रेरित करता रहा है।भारतीय मनीषियों ने मानवीय बौद्धिक विकास के प्रारम्भिक काल से ही इस दिशा में अनेकों जिज्ञासाओं के समाधान में रुचि दिखाई साथ ही इसके समाधान के लिए शोध और अन्वेषण कर इसके कई रहस्यों को उद्घाटित भी किया।अंतहीन अंतरीक्ष के अन्वेषण के आधुनिक युग में अंतरीक्ष यात्रा एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है।इस कड़ी में प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के बाद भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाना और विभिन्न प्रकार के कई प्रयोगों को सफलतापूर्वक संपन्न करना मील का पत्थर साबित हुआ है।शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ । इनके पिता का नाम शम्भू दयाल शुक्ला एवं माँ का नाम आशा शुक्ला है।इनके परिवार में उनकी पत्नी कामना शुक्ला (डेंटिस्ट) और एक पुत्र कियाश भी है। उन्होंने सिटी मांटेसरी स्कूल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की।
शुभांशु शुक्ला भारतीय सेना में फाइटर काम्बेट लीडर के साथ ही टेस्ट पायलट भी हैं। विभिन्न विमानों के 2000 घंटा उड़ान का अनुभव रखने वाले शुभांशु ने एक्सिओम मिशन 4 के तहत अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा की।अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रीयों के साथ 25 जून को उन्होंने नासा के फ्लोरिडा से अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा की और 26 जून को वह अपने अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़े ।जहाँ उन्होंने कुल अठारह दिन बिताए।अपने अंतरिक्ष प्रवास के दौरान उन्होंने विभिन्न प्रयोगों के साथ ही, मूंग और मेंथी की खेती भी की।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 18दिन सफलतापूर्वक बिताने के बाद शुभांशु 15जुलाई 2025 को अपने अन्य तीन साथियों के साथ सकुशल धरती पर वापस आ गए। अपनी इस यात्रा से वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर समय बिताने वाले प्रथम भारतीय और अंतरिक्ष में जाने वाले द्वितीय भारतीय भी बन गए हैं।
उम्मीद की जाती है कि उनकी यह साहसिक अंतरिक्ष यात्रा भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने में सफल होगी और साथ ही अंतरिक्ष के कुछ रहस्यों को उद्घाटित करने में भी सफल रहेगी।
डॉ०अजय कुमार
प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (कला)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय चाँपी
कोढ़ा कटिहार (बिहार)