उस रोज मुझे रात की ट्रेन से घर लौटना था। चूंकि मैंने जाते समय ही यह सोच कर वापसी का टिकट आरक्षित करवा लिया था कि डेढ़-दो सौ रुपए की… तरकीब-संजीव प्रियदर्शीRead more
Author: Anupama Priyadarshini
सच्ची घटना- दया शंकर गुप्ता
शाम के 7 बजे होंगे, अंश की माँ खाना बनाकर जब बाहर के रूम में बच्चों के पास आई तो देखी कि सबसे छोटा लड़का नहीं है। उसने अंश से… सच्ची घटना- दया शंकर गुप्ताRead more
कराहती सड़कें- श्री विमल कुमार “विनोद”
ओपनिंग दृश्य-(गिट्टी,अलकतरा, पानी,बालू,रोड रोलर मशीन आदि सड़क पर विचार-विमर्श कर रहे हैं)गिट्टी-(अलकतरा से)अरे भाई अलकतरा तुम तो बहुत शक्तिशाली हो फिर भी तुम हमको मजबूत नहीं कर पाते हो।तुम जब… कराहती सड़कें- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
जीवन-संगिनी–श्री विमल कुमार “विनोद”
संक्षिप्त सार-एक छोटा सा बालक जिसका नाम रामू है कि कहानी जो कि अभी अपनी शैशवावस्था की चहारदीवारी भी पार नहीं कर पाया था कि बदनसीबी ने इसे अपनी जाल… जीवन-संगिनी–श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
तबाही-श्री विमल कुमार “विनोद”
कास्टिंग सीन-बचाओ,बचाओ,अरे कोई तो बचाओ,बचने का कोई भी उपाय तो बताओ।चारों ओर तबाही ही तबाही नजर आ रही है।(नेपथ्य से आश्चर्य पूर्वक )तबाही ,अरे किस बात की तबाही।बताओ,बताओ।बचाओ,बचाओ कोरोना से… तबाही-श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
दुर्लभ-जल- श्री विमल कुमार”विनोद”
ओपनिंग दृश्य-बहुत सारी महिलायें माथे पर घड़ा लेकर पानी लाने गाँव के बाहर पानी लाने जा रही है,लेकिन कुआँ के सूख जाने के चलते महिलाओं को पानी नहीं मिल पा… दुर्लभ-जल- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
नशा का लत- श्री विमल कुमार “विनोद”
कथा सार-मोनू एक 12 वर्ष की आयु का लड़का जो कि सातवाँ वर्ग में पड़ता है।गाँव में शाम के समय प्रतिदिन”ताड़ी खाना”के पास चक्कर लगाते हुये धीरे-धीरे ताड़ी पीना शुरू… नशा का लत- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
जूठा-श्री विमल कुमार “विनोद”
ओपनिंग दृश्य-विवाह स्थल का दृश्य।(ठाकुर कामेश्वर सिंह के यहाँ उनकी बेटी की शादी है,बाराती को भोजन कराया जा रहा है।उसी समय बिसेसरा नामक व्यक्ति पंगत में भोज खाने बैठ जाता… जूठा-श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
बाल-अधिकार- श्री विमल कुमार”विनोद”
ओपनिंग दृश्य-(एक शिक्षक जो कि गाँव के विद्यालय में कार्यरत है,जो कि ग्रामीण को अपने बच्चों को पढ़ने के लिये जाने को कहते हैं)शिक्षक-बहन जी,आपलोग अपने बच्चे-बच्चियों को विद्यालय पढ़ने… बाल-अधिकार- श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
“होनहार बालक” – श्री विमल कुमार”विनोद”
पृष्ठभूमि-मनोज एक दिन टहलते हुये गाँधी मैदान पटना पहुंचा।वहाँ उन्होंने एक बालक को एक “कागज का टुकड़ा” उठाकर पढ़ते देखा।बालक जो की गरीबी की मार से त्रस्त था एक पुरानी… “होनहार बालक” – श्री विमल कुमार”विनोद”Read more