जीवन एक प्रवाह है—कभी शांत, कभी उग्र; कभी सरल, तो कभी दुर्गम। इस प्रवाह के मध्य यदि कोई तत्व हमें डूबने से बचाए रखता है, तो वह है—”आशा”। यही वह… आशा ही जीवन है : सुरेश कुमार गौरवRead more
Category: वेदना
जीवन का दीपक- सुरेश कुमार गौरव
गाँव के अंतिम छोर पर एक टूटी-फूटी झोपड़ी में बुजुर्ग हरिश्चंद्र रहते थे। उम्र के अंतिम पड़ाव पर उनका न कोई संगी था, न कोई संतान। समय काल ने उनसे… जीवन का दीपक- सुरेश कुमार गौरवRead more
यार, तूने तो सब को रूला दिया – मो.जाहिद हुसैन
वह दोस्ती ही क्या? जिसमें सब मीठा ही मीठा हो। दो दोस्त होंगे तो बीच-बीच में खींचातानी भी होगी। इन सब बातों से मोहब्बत बढ़ती है। क्या जमाना… यार, तूने तो सब को रूला दिया – मो.जाहिद हुसैनRead more
लाल सपना – चांदनी समर
उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर खून के धब्बे थे। पेट में मरोड़ उठ रही थी। बड़ी मुश्किल से कराते हुए वह खड़ा हो पाया। तभी उसकी छोटी बहन तानिया… लाल सपना – चांदनी समरRead more
वृक्ष की व्यथा- श्री विमल कुमार “विनोद”
एक लघु नाटिका कास्टिंग सीन-जंगल का दृश्य। (अंधेरी रात,जंगल में शेर,चीता, भालू,सियार तथा अन्य जानवरों की आवाज,इसी बीच जंगल में लकड़ी काटने की आवाज) काटो, जल्दी काटो। मोटी-मोटी सीसम, सागवान,महोगनी,आम,जामुन… वृक्ष की व्यथा- श्री विमल कुमार “विनोद”Read more
दास्तां-ए-जिन्दगी – श्री विमल कुमार”विनोद”
सोहन नामक एक छोटा सा बालक, जिसका जन्म एक साधारण निर्धन परिवार में हुआ था।वह बालक बचपन में तो पढ़ने-लिखने में कम अपने दोस्तों के साथ खेलने कूदने में अधिक… दास्तां-ए-जिन्दगी – श्री विमल कुमार”विनोद”Read more
धरती रो पड़ेगी – संजीव प्रियदर्शी
रमिया और टुनका दहाड़ें मार कर रो रहे थे। रोते भी क्यों नहीं, जिगर का एक ही तो टुकड़ा था जिसे गंगा मैया ने अपने ओद्र में समा लिया था।टुनका… धरती रो पड़ेगी – संजीव प्रियदर्शीRead more
लैंडमार्क-कुमारी निरुपमा
लैंडमार्क अंश आज अपने गांव आठ वर्ष के बाद जा रहा था। उसके पापा को उनकी कम्पनी एक प्रोजेक्ट को पूरा करने न्यूयार्क भेज दिया… लैंडमार्क-कुमारी निरुपमाRead more