नाम और यश : गिरीन्द्र मोहन झा

महापुरुष अज्ञात, निर्वाक और शांत होते हैं।महापुरुष नाम-यश के गुलाम नहीं होते हैं। वे शब्दों(निन्दा-स्तुति) के भी गुलाम नहीं होते हैं। वे दृढ़नियमी, कर्तव्यपरायण और ईमानदार होते हैं। वे कर्तापन… नाम और यश : गिरीन्द्र मोहन झाRead more

शिक्षा में बहुभाषावाद से सम्बन्धित लाभ और चुनौतियाँ : आशीष अम्बर

बहुभाषावाद एक से अधिक भाषाओं को बोलने , समझने, पढ़ने और लिख सकने की क्षमता है । यह व्यक्तिगत या सामाजिक क्षमता हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर… शिक्षा में बहुभाषावाद से सम्बन्धित लाभ और चुनौतियाँ : आशीष अम्बरRead more

विषय में या विषय के प्रति रुचि व जिज्ञासा जगाना शिक्षक की कला : गिरीन्द्र मोहन झा

शिक्षक के तीन ही प्रमुख गुण होते हैं।- विषय का गंभीर ज्ञान (content knowledge), सम्प्रेषण कौशल(communication skill) और शिक्षण-शास्त्र(Pedagogy)। कहते हैं, “Teacher is not one, who only teaches. He is… विषय में या विषय के प्रति रुचि व जिज्ञासा जगाना शिक्षक की कला : गिरीन्द्र मोहन झाRead more

पटना का गोलघर-एक ऐतिहासिक स्मारक : हर्ष नारायण दास

पटना विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है।अपनी ऐतिहासिक गाथा के क्रम में इस नगर के नाम कई बार परिवर्तित हुए।कुसुमपुर, पुष्पपुर, अजीमाबाद, पाटलिपुत्र, पाटलिग्राम इत्यादि नामों से प्रसिद्ध… पटना का गोलघर-एक ऐतिहासिक स्मारक : हर्ष नारायण दासRead more

अंग्रेजी शिक्षा का खालीपन : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

सुरेश बहुत खुश था। पिता बनने के सुख की अनुभूति से आह्लादित वो फुले नहीं समा रहा था। बार-बार भगवान को धन्यबाद देता हुआ वो कभी अपनी पत्नी तो कभी… अंग्रेजी शिक्षा का खालीपन : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more

अंग्रेजी भाषा में शिक्षण की सार्थकता : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

अंग्रेजी भाषा की यात्रा एक सामान्य पिछड़े कबीले से शुरू होकर जहां के सभ्य सुसंस्कृत कहे जाने वाले लोगों से तिरस्कृत स्थिति से आज कालजयी और परिधिमुक्त स्थिति को प्राप्त… अंग्रेजी भाषा में शिक्षण की सार्थकता : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more

छात्र, शिक्षक और अभिभावकों के बीच त्रिकोणीय संबंध और शिक्षा का सतत् विकास : सुरेश कुमार गौरव

प्रस्तावना: शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान का हस्तांतरण नहीं अपितु एक निरंतर प्रगतिशील प्रक्रिया है जो व्यक्ति के विचार, व्यवहार और व्यक्तित्व को समग्र रूप में विकसित करती है। इस प्रक्रिया… छात्र, शिक्षक और अभिभावकों के बीच त्रिकोणीय संबंध और शिक्षा का सतत् विकास : सुरेश कुमार गौरवRead more

कर्म और उसका फल : गिरीन्द्र मोहन झा

संस्कृत भाषा के कृ धातु में अच् प्रत्यय के योग से कर्म शब्द बना है। यत् क्रियते तत् कर्म अर्थात् जो किया जाता है, वही कर्म है।कर्म तीन प्रकार के… कर्म और उसका फल : गिरीन्द्र मोहन झाRead more

बुद्ध पूर्णिमा विशेष : गिरेन्द्र मोहन झा

आज बुद्ध पूर्णिमा है । आज के दिवस को वैसाख या बुद्ध जयंती पर्व के नाम से भी जानते हैं । बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाएं यथा जन्म, महाभिनिष्क्रमण(गृह-त्याग),… बुद्ध पूर्णिमा विशेष : गिरेन्द्र मोहन झाRead more

आलोचना एवं समालोचना : एक दृष्टिकोण- सुरेश कुमार गौरव

परिचय : मानव समाज विचारों, अभिव्यक्तियों और रचनात्मक प्रवृत्तियों का एक जीवंत समुच्चय है। इन प्रवृत्तियों को दिशा देने, संवारने और उनके मर्म तक पहुँचने हेतु जिन उपकरणों का सहारा… आलोचना एवं समालोचना : एक दृष्टिकोण- सुरेश कुमार गौरवRead more