कुत्ते की वफादारी-लवली कुमारी

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कुत्ते की वफादारी

 

          रीमा की मां झाड़ू लगा रही थी और चिल्ला रही थी “ये रीमा की बच्ची कुत्ते के बच्चे को लाकर हर जगह अपवित्र कर देती है। लो देखो फिर इस कुत्ते के बच्चे को घर ले आई तुम। भगाओ बाहर भगाओ इसे “ये अशुभ है। मां के डर से रीमा कुत्ते के बच्चे को बाहर रख आई। पर चुपके-चुपके उस बच्चे को खाना खिलाती रहती। जब मां घर पर नहीं रहती तो उसे घर लाकर स्नान कराती, बिस्कुट खिलाती। एक दिन उसकी मां ने देख लिया और रीमा का खाना-पीना बंद कर दिया। फिर भी रीमा का उस कुत्ते के बच्चे से लगाव कम ना हुआ। जैसे-जैसे समय बीतता गया वह पिल्ला भी बड़ा हो गया। अचानक एक रात वह कुत्ता रीमा के दरवाजे के पास बहुत भौंक रहा था। इतना भौंक रहा था कि घर में सभी की नींद टूट गई। जब रीमा और उसकी मां बालकोनी में आई तो देखा कि दो आदमी उसके छत से कूदकर भाग रहे हैं। तभी वे लोग समझ गए कि चोर घुसा था उनके छत पर। रीमा भागती हुई दरवाजे के पास गई दरवाजा खोलते ही देखा कि वह कुत्ता पूंछ हिला कर अपनी खुशी प्रकट कर रहा है। उसके पैर में चोट भी लगी हुई थी। रीमा तुरंत उसे गोद में उठाकर इतना चूमने लगी मानो जैसे कई बरसों बाद बिछड़े दोस्त मिले हो। फिर उसकी मरहम पट्टी की। ये सब देखकर उसकी मां अपने किये पर पछता रही थी और उसके पीठ पर हाथ फेर कर उसे सहलाती हुई निहार रही थी।

शिक्षा-
कभी किसी को तुच्छ नहीं समझना चाहिए। कभी-कभी हम जिसे देखकर घृणा करते हैं वास्तव में वह हमारे लिए कितना शुभ होता है इसका हमें पता ही नहीं होता।

लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूप नगर

बारसोई कटिहार

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