पवित्र रिश्ता
पहले एक छात्र फिर एक शिक्षक, बेहद करीब से जीया है इस रिश्ते को और महसूस की है रिश्ते की सत्यता को। बदलते परिवेश ने कहीं न कहीं इस रिश्ते को भी प्रभावित किया है।
प्राचीन काल मे गुरू, जिनका स्थान सर्वोपरि समझा जाता था, परिस्थितियों ने इस रिश्ते की परिभाषा को भी बदल दिया है। इसके लिए मैं किसी एक को दोषी नही मानती।समाज, परिवेश हमारी शिक्षा-नीति और स्वयं हम शिक्षक भी गुनाहगार हैं। जरूरत है एक बार फिर इस रिश्ते की भावनात्मक्ताओं को जागृत करने की ।
The mediocre teacher tells.
The good teacher explain.
The superior teacher demonstrates but
The great teacher inspires.
जैसा कि हम सब जानते हैं, प्रतिभा के निर्माण में परिश्रम की भूमिका सर्वोपरि तो है ही परंतु सही प्रेरणा और सही दिशा ही मेहनत को सफलता के शिखर तक पहुँचाती है और यहीं पर शिक्षक की भूमिका छात्रों के सम्बंध में अहम हो जाती है। बच्चे शिक्षक के साथ प्रतिदिन 5 से 7 घंटे व्यतीत करते हैं। हमसब विद्यालयी जीवन से होकर इस मुकाम पर पहुँचे हैं। हममें से कुछ भाग्यशाली हैं जिन्हें मनोनुरूप प्रेरित करने वाले गुरु मिलें। सकारात्मक सम्बंध के गुण अलग-अलग अनुभव पर आधारित हैं जिससे की बच्चे कुछ सीखते हैं। बच्चों के ज्ञानार्जन के लिए तरह-तरह की युक्तियाँ लगाई जाती है जिससे वे अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकें।
बच्चों के स्वभाव में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। वर्ग में कुछ बच्चे आसानी से सीखते और समझते हैं लेकिन अधिकांश बच्चों को बार -बार अलग-अलग तरीकों से समझाना पड़ता।कुछ ऐसे भी होते जो विद्यालय समय बिताने और मनोरंजन हेतु आते। उन्हें पढ़ाना मुश्किल ही नहीं उनसे शिक्षकों का सही संवाद संचार भी नहीं बन पाता ।
एक शिक्षक को यह समझना भी जरूरी है कि बच्चे भिन्न-भिन्न परिवेश और पृष्ठभूमि से होते हैं। शिक्षक को इनके प्रति समझदारी प्रदर्शित करनी होगी तभी आत्मीय सम्बन्ध दोनों के बीच स्थापित होंगे। निश्चित ही ज्ञान प्राप्त करने के संदर्भ में उन्हें आनंद भी आना चाहिए लेकिन यह भी नियंत्रित होना चाहिए और इसके लिए अनुशासन पहली शर्त है।विद्यार्थियों को अपने मत, अपनी समझदारी को शिक्षकों के साथ बाँटने की भी आजादी होनी चाहिए।
इस तरह हम शिक्षक और छात्र के बीच आदर्श संबंध स्थापित कर सकते हैं। दोनों को एक-दूसरे को समझने की आवश्यकता है।इसके लिए भावनाओं का आदान-प्रदान बनाए रखना आवश्यक होगा।
रुचि सिन्हा
प्रखंड शिक्षक
मीनापुर, मुजफ्फरपुर
बेहतरीन प्रस्तुति
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प्रशंसनीय
उत्कृष्ठ लेखन। गागर में सागर। सच मे, हम भी अपने उत्तरदायित्व से बच नही सकते। आज शिक्षको को भी अपनी भूमिका को परिभाषित करने की आवश्यकता है।