असली तोहफा : रूचिका

विद्यालय में उत्सव का माहौल था।बच्चे शिक्षक दिवस की तैयारियों में लगें थें। कहीं कुछ बच्चे गुब्बारे में हवा भर रहे थे तो कहीं बच्चे रंगोली बना रहे थे। एक… असली तोहफा : रूचिकाRead more

कीमती उपहार (शिक्षक दिवस) : लवली कुमारी

आज विद्यालय में काफी चहल- पहल थी। बच्चे काफी खुश दिखाई दे रहे थे, कारण कल शिक्षक दिवस था। सभी बच्चे शिक्षक दिवस की तैयारी में जुट गए थे। सभी… कीमती उपहार (शिक्षक दिवस) : लवली कुमारीRead more

दो टुकड़े वाली नोट : अरविंद कुमार

बचपन में रामू महतो और मनोहर सिंह के बीच दांत कटी दोस्ती थी, ना जात का बंधन ना अमीरी का रोब प्राथमिक विद्यालय भरगामा में दोनों साथ पढ़ते थे। उस… दो टुकड़े वाली नोट : अरविंद कुमारRead more

स्त्री का दर्द : रूचिका

सरिता जी की कामवाली सरला आज फिर देर से आई। सरिता जी ने कहा, “सरला,आज फिर तूने देर कर दी जबकि कल ही मैंने कहा था जरा जल्दी आना, कुछ… स्त्री का दर्द : रूचिकाRead more

उद्धार : अरविंद कुमार

” राम..नाम..सत्य..है,सब.. का..यही.. गत..है.राम..नाम…सत्य..है..सब ..का ..यही ..गत .है ” के नारे के साथ रंगीन कागज से सजी भागवत दास की अर्थी आगे-आगे चल रही थी । पीछे से टोले के… उद्धार : अरविंद कुमारRead more

दोहरा चेहरा : रूचिका

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सुधा जी का जोरदार स्वागत किया गया। सुधा जी को नारी उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और स्त्रियों के सुरक्षा और सहयोग के लिए… दोहरा चेहरा : रूचिकाRead more

एक और सुबह : अरविंद कुमार

आ..छी..ईईईईई ..। ऊह…,हे..रे..भागता है की नहीं उधर ” दशरथ ओझा ने मंगलू के छींकने पर अपना मुंह बनाते हुए कहा। “हे रबिया माय, रबिया माय” रबि‌या माय आंगन के चूल्हा… एक और सुबह : अरविंद कुमारRead more

पिता की सीख : कुमारी निधि

रोहन तब बारहवीं में पढ़ रहा था। वह पढ़ने में बहुत होशियार था। रोहन के पिता ने उसे कोई कमी नहीं दी। रोहन के मुँह खोलने से पहले उसके सामने… पिता की सीख : कुमारी निधिRead more

बचपन और उसकी यादें : रूचिका

बचपन और उसकी यादें जब भी जेहन में आ जाती हैं तो होठों पर बरबस ही मुस्कान चली आती हैं।बचपन के दिनों में गर्मी की छुट्टियों का वर्षभर बेसब्री से… बचपन और उसकी यादें : रूचिकाRead more

अंग्रेजी शिक्षा का खालीपन : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

सुरेश बहुत खुश था। पिता बनने के सुख की अनुभूति से आह्लादित वो फुले नहीं समा रहा था। बार-बार भगवान को धन्यबाद देता हुआ वो कभी अपनी पत्नी तो कभी… अंग्रेजी शिक्षा का खालीपन : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more