छात्रों द्वारा शिक्षक का अनुकरण : नेहा कुमारी

आज भी याद है मुझे वो दिन जब मैंने विद्यालय में योगदान लिया और सभी रसोईया, अभिवावकों ने मुझे देख कर सोचा कि ये कम उम्र की पतली दुबली लड़की… छात्रों द्वारा शिक्षक का अनुकरण : नेहा कुमारीRead more

दशहरा का कपड़ा : अरविंद कुमार

रानीगंज भरगामा मोड़ से लेकर फारबिसगंज वाली रोड के पेट्रोल पंप तक तथा इधर अररिया वाली रोड में काली मंदिर से रानीगंज बस स्टेंड तक गाड़ी चुट्टा पिपरी की तरह… दशहरा का कपड़ा : अरविंद कुमारRead more

बच्चों को सीख : रूचिका

खेल के मैदान में सारे बच्चे व्यस्त थे। एक टोली कबड्डी खेल रहा था तो दूसरी टोली खों-खों। कुछ बच्चे यूँही आपस में एक दूसरे को भगा रहे थे।बच्चों की… बच्चों को सीख : रूचिकाRead more

रूप बड़ा या गुण : आशीष अम्बर

बात पुराने समय की है। किसी राज्य में एक बादशाह थें। उन्हें अपने राज – काज चलाने में कठिनाई हो रही थी । जिसके कारण उन्होंने मंत्री की बहाली की… रूप बड़ा या गुण : आशीष अम्बरRead more

मास्टर साहब : डॉ स्नेहलता द्विवेदी

रमेश और सुरेश दोस्त है। दोनो ने साथ में पढ़ाई की और एक साथ पले बढ़े। दोनों आज भी सम्पर्क में हैं,और परिवार से परिपूर्ण हैं सुखी है लेकिन दोनों… मास्टर साहब : डॉ स्नेहलता द्विवेदीRead more

असली तोहफा : रूचिका

विद्यालय में उत्सव का माहौल था।बच्चे शिक्षक दिवस की तैयारियों में लगें थें। कहीं कुछ बच्चे गुब्बारे में हवा भर रहे थे तो कहीं बच्चे रंगोली बना रहे थे। एक… असली तोहफा : रूचिकाRead more

कीमती उपहार (शिक्षक दिवस) : लवली कुमारी

आज विद्यालय में काफी चहल- पहल थी। बच्चे काफी खुश दिखाई दे रहे थे, कारण कल शिक्षक दिवस था। सभी बच्चे शिक्षक दिवस की तैयारी में जुट गए थे। सभी… कीमती उपहार (शिक्षक दिवस) : लवली कुमारीRead more

दो टुकड़े वाली नोट : अरविंद कुमार

बचपन में रामू महतो और मनोहर सिंह के बीच दांत कटी दोस्ती थी, ना जात का बंधन ना अमीरी का रोब प्राथमिक विद्यालय भरगामा में दोनों साथ पढ़ते थे। उस… दो टुकड़े वाली नोट : अरविंद कुमारRead more

स्त्री का दर्द : रूचिका

सरिता जी की कामवाली सरला आज फिर देर से आई। सरिता जी ने कहा, “सरला,आज फिर तूने देर कर दी जबकि कल ही मैंने कहा था जरा जल्दी आना, कुछ… स्त्री का दर्द : रूचिकाRead more

उद्धार : अरविंद कुमार

” राम..नाम..सत्य..है,सब.. का..यही.. गत..है.राम..नाम…सत्य..है..सब ..का ..यही ..गत .है ” के नारे के साथ रंगीन कागज से सजी भागवत दास की अर्थी आगे-आगे चल रही थी । पीछे से टोले के… उद्धार : अरविंद कुमारRead more