स्वामी विवेकानंद …गिरीन्द्र मोहन झा

स्वामी विवेकानंद(१२ जनवरी, १८६३ – ०४ जुलाई, १९०२)

11 सितंबर, 1893 को शिकागो में हमारे देश के स्वामी विवेकानंद जी ने विश्वविख्यात भाषण दिया। उन्होंने ‘The sisters and brothers of America, (अमरीका निवासी भगिनीगण और भातृगण)’  से जैसे ही अपने भाषण की शुरुआत की, शिकागो का विश्व धर्म संसद तालियों की गूंज से गुंजायमान हो उठा ।
…..शिकागो वक्तृता में उन्होंने ऐसी-ऐसी बातों को रखा, जो हर देश-काल के लिए सत्य और प्रासंगिक है।
..…. स्वामी विवेकानंद का जीवन-चरित्र और उनके द्वारा दिया गया सदुपदेश मानव समाज के लिए सदा प्रेरक रहा है।
…… स्वामी विवेकानंद का जीवन संघर्ष भरा रहा है। गुरु रामकृष्ण परमहंस और गुरु माता माँ शारदामणि के सान्निध्य में उन्हें कई प्रकार की ईश्वरीय अनुभूति प्राप्त हुई।
…..स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था । खेतड़ी के राजा ने उन्हें स्वामी विवेकानंद का नाम दिया। उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस रानी राशमोणी द्वारा निर्मित कोलकाता के दक्षिणेश्वरी काली मंदिर के पुजारी थे, महान संत और मां जगदम्बा के अनन्य भक्त थे ।
……स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और भी बहुत सारा कार्य किया, साथ ही कई पुस्तकों की रचना की ।
…… कठोपनिषद के इस वाक्य उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत(उठो, जागो और लक्ष्य-प्राप्ति तक रुको मत।) का विलक्षण अंग्रेजी अनुवाद स्वामी विवेकानंद ने इस प्रकार किया है।- Arise awake and stop not till the goal is reached.
…..गिरीन्द्र मोहन झा

1 Likes
Spread the love

Leave a Reply