*अंतरात्मा की आवाज़*
अंतरात्मा हमारे शरीर में विद्यमान वह सूक्ष्म अमूर्त सत्ता है जिसे अच्छा-बुरा, सही-गलत का स्पष्ट ज्ञान होता है और जो हमें निरंतर उच्च सिद्धान्तों के पथ पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यह अमूर्त सत्ता मूक एवं आत्मनिष्ठ होकर हमारा मार्गदर्शन करती है, जिसे हम अंतरात्मा की आवाज कहते हैं। अंतरात्मा की आवाज़ सच होती है। जब हम किसी उचित या अनुचित के बीच किंकर्तव्यविमुढ़ हो जाते हैं तब अंतरात्मा की आवाज़ हमारा मार्गदर्शन करती है और हम सही निर्णय ले पाने में सक्षम होते हैं।
किन्तु वर्तमान समय की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि हम भौतिक जगत के चकाचौंध में इस कदर खो गए हैं कि हमें अपने अंदर झाँकने की फुर्सत ही नहीं है। इस कोलाहल भरी दुनिया में हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि हमें हमारी अंतरात्मा की आवाज़ सुनाई ही नहीं देती है या हम सुनना ही नहीं चाहते हैं। धीरे-धीरे यह आवाज धीमी हो जाती है। कितना अजीब है न हम अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त बाह्य सौंदर्य को निहारने या फिर उसे प्राप्त करने में लगा देते हैं और भूल जाते हैं कि इस बाह्य सौंदर्य से कई गुणा अधिक सुंदरता हमारे अंदर निहित है। सारा दिन न जाने हम कितने लोगों से मिलते हैं उनसे बातें करते हैं कुछ उनकी सुनते हैं कुछ अपनी सुनाते हैं परन्तु स्वयं से बात करने और अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनने का वक्त ही हमारे पास नहीं होता। नतीजा यह होता है कि बिना अंतरात्मा की आवाज़ सुने ही हम कोई बड़ा निर्णय ले लेते हैं जो हमारे आचरण के विरुद्ध होता है और हमें बाद में इसके लिए पछताना भी पड़ता है।
अतः आवश्यक है कि इस भागदौड़ वाली जिंदगी से थोड़ा समय अपने के लिए अवश्य निकाले,खुद से बातें करें और अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुने ताकि हमारा हर निर्णय शुभफलदायी हो और हमारा जीवन परिष्कृत हो।
कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
मुंगेर, बिहार