शगुफ़्ता ने तोड़ी झिझक-रीना कुमारी

शगुफ़्ता ने तोड़ी झिझक

बात उन दिनों की है, जब मदरसा एग्जाम चल रही थी ।मैं वहां वीक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त थी।बच्चियों की परीक्षा हॉल में परीक्षा चल रही थी। पहली पाली समाप्त हो चुकी थी ।दूसरी पाली की परीक्षा शुरू हुई ही थी कि कुछ ही समय बाद में मैंने देखा एक बच्ची कुछ बोलने भी चाह रही थी और चाहकर भी नही कुछ बोल पा रही थी। मैं जब उसके पास उसका अटेंडेंस के लिए पहुंची तो मैंने उससे पूछा क्या कोई दिक्कत है ?
उसने कहा नहीं मेम। लेकिन मैं उसके बैठने के तरीके देख थोड़ा हिचकिचाहट को देखकर मैं समझी कि कहीं कुछ उसके पास कोई चीट पूर्जा है तो नहीं है ?कोई कागज के टुकड़े तो नहीं है?
मैं उसके पास गई बोली तुम्हारे पास कुछ कागज के टुकड़े हैं तो तुम दो ।लेकिन उसके पास कुछ भी नहीं थे।मैनें चेक किया। मैं निश्चिंत हो गई किंतु वह थोड़ी थोड़ी देर में अपने कॉपी पर कभी लिखती कभी कुछ सोचने लगती ,मैंने उसके व्यवहार का आकलन किया ,फिर मैं उसके पास गई, मैंने पूछा क्या नाम है तुम्हारा ?उसने बताया जी मेम शगुफ़्ता मैंने कहा वाह! बहुत बढ़िया ।बहुत सुंदर नाम है तुम्हारा।
उसने मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा ,फिर मैंने उससे पूछा देखो शगुफ़्ता ! तुम्हें कोई प्रॉब्लम है ?तुम्हारे पास कोई समस्या है? तो मुझे बता दो मैं तुम्हारी समस्या का निदान करूंगी।
किंतु उसने फिर भी नहीं कुछ बताया तो फिर मैं एक बार उस कक्ष में सबों को एक साथ अनाउंस की कि जिस किसी भी लड़कियों के साथ कुछ भी समस्या है तो वह प्लीज हमें बोल दो, किसी के सर दर्द हो रहे हैं या अन्य कोई भी शारीरिक समस्या ?

शगुफ़्ता  इतनी शर्मीली लड़की थी कि वह कुछ बताना नहीं चाह रहे थी उसे मुझसे शर्म आ रही थी, और यहां तक कि अपने अगल-बगल पास में बैठे लड़कियों को भी उसने नहीं बताया ,और वह जहां जिस क्षेत्र से परीक्षा देने आई थी वहां से वह बिल्कुल अकेली थी और कुछ जो भी बच्ची उसके साथ सहपाठी थी वह दूसरे रूम में परीक्षा दे रहे थी,
मैंने उससे पूछा- तुम सही में बता दो तुम्हें क्या प्रॉब्लम है तो उसने मुझे तभी बताया—
मैडम जी! मेरे साथ थोड़ी समस्या है, मझे समय से पहले पीरियड आ गयी है ,मुझे पता नहीं था।मैं बिना किसी तैयारी के परीक्षा देने आई हूँ।कृप्या आप मेरी मदद करे।
मैंने कहा कोई बात नहीं  शगुफ़्ता। ऐसा होता है घबराओ नहीं। मैं तुम्हें सेनेटरी पैड मंगवा देती हूं। कोई दिक्कत नहीं है। मैं तुरंत कमरे से निकली। चपरासी संतोष भैया को आवाज लगाई, संतोष भैया आए और उनको मैं कुछ रुपए देते हुए बोली ,भैया मुझे अच्छी कंपनी के सेनेटरी पेड ला दीजिए, वे थोड़ी देर में ही ला दिये। मैंने  शगुफ़्ता के हाथों में पेड थमाते थोड़ी मुस्कुराते बोली तुम्हारी समस्या का समाधान । वह हाथों में लेते हुवे धन्यवाद बोली ,और वह इतनी खुश हो गई कि मैं बता नहीं सकती।
हम शिक्षक- शिक्षिका भी कभी-कभी बच्चों की मन की बातों को नहीं समझ पाते हैं। जरूरत है उसके मन को समझने की उसकी इच्छाओं को जानने की ।यदि हम उसके साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करेंगे तो स्वभाविक है वह हमारे साथ जरूर खुलकर बोलने का प्रयास करेगी। यहां एक स्थिति यह उत्पन्न हुई थी कि मैं उसके लिए अनजान थी तो उसने मुझे अपनी हिचकिचाहट दिखाई ज्योहि मैं उसके साथ  अच्छे से व्यवहार बातचीत की तो उसने कहीं ना कहीं अपनी समस्या मुझे बता दी तो उसकी समस्या का यहां समाधान भी हो गया ।

अतः हम सभी लड़कियों से यह कहना चाहेंगे कि अपनी चुप्पी को दूर करना है ।जब भी आप अपनी कक्षा- कक्ष में या अपने स्कूल में इस समस्या से घिर जाते हैं तो आप अपने शिक्षक- शिक्षिका से जरूर बात करें ,और उनसे अपनी सहायता जरूर करने के लिए कहे।उनसे विनय पूर्वक मदद माँगे।

रीना कुमारी।
प्रा०वि० सिमलवाड़ी प० टोला।
प्रखंड-बायसी।
पूर्णियॉं,
बिहार।

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