विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस-अशोक कुमार

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“विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस”

मैं अशोक कुमार न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया नुआंव कैमूर में पंचायत शिक्षक के पद पर कार्यरत हूं। टीचर्स आफ बिहार के प्लेटफार्म से भयावह बिमारी में जब पूरा शैक्षणिक संस्थान बंद पड़े हैं उसमें बिहार के सरकारी सुयोग्य, तेजतर्रार, कर्मठ शिक्षकों द्वारा SOM पर आनलाईन पिछले कोर्स की भरपाई की जा रही है।इस आनलाईन पढ़ाई से बच्चों की पिछले कोर्स की भरपाई ऑनलाइन शिक्षण द्वारा आसानी से हो जाती है। इसके लिए मैं टीचर्स आफ बिहार को कोटि-कोटि अभिनंदन करता हूं।मैं टीचर्स ऑफ बिहार के प्लेटफार्म से जुडकर अपने मित्रों से विभिन्न शैक्षणिक आयामों के बारे में जानकारियों का आदान प्रदान करता हूं। टीचर्स आफ बिहार एवं UNICEF द्वारा चलाए जा रहे हैं विश्व मासिक स्वच्छता कार्यक्रम में अपनी एक छोटी सी आलेख लिख रहा हूं।
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 28 मई को मनाया जाता है। पहले इस मुद्दे पर लोग चर्चा करने में शर्माते थे।
एवं सिर्फ लड़कियां महिलाएं ही इस मुद्दे पर आपस में खुलकर बात करती थी। लेकिन सरकार एवं समुदाय के प्रयासों से काफी जागरूकता आई है।इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लड़कियों एवं महिलाओं को माहवारी के कारण आने वाली चुनौतियों के प्रति जागरूक करना है।विद्यालय स्तर पर मीना मंच के माध्यम से माहवारी के बारे में चर्चा कर अपने-अपने पोषण क्षेत्रों में इसके बारे में खुलकर चर्चा करने के बारे में बताया जाता है।मीना मंच की सभी बच्चियां अपने पोषक क्षेत्रों में टीम गठित कर माहवारी के बारे में खुलकर समुदाय को नाटक मंच गीत नुक्कड़ सभा कर जागरूक करती है।इसके अथक प्रयास से बहुत हद तक समुदाय के लोग इसके बारे में अब खुलकर बात करते हैं।विद्यालयों में माहवारी स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सरकार ने नैपकिन पैड की राशि भी मुहैया कराती है। इससे बहुत सी बच्चियां लाभान्वित होती है। विद्यालयों में सप्ताहिक आयरन गोली, डिवार्मिंग कार्यक्रम ,किशोरी सुरक्षा योजना, पियर एजुकेशन इत्यादि कार्यक्रमों के तहत माहवारी स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है। महिलाएं एवं बच्चियां माहवारी के दौरान पुराने रीति रिवाज को अपनाती थी। इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था। तथा वह अस्वच्छ तरीके पर निर्भर रहती थी। लेकिन अब उसे माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग के बारे में बताया गया है। इसके प्रयोग से स्वच्छता के साथ-साथ शारीरिक विकास भी अच्छा होता है। सरकार द्वारा स्कूलों में भी महिला शिक्षिकाओं को यह विशेष सुविधा ‘विशेषावकाश’के रूप में देती है ताकि हमारे कर्मी को दिक्कतों का सामना नहीं करनी पड़े।
अतः हम सभी शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को अपने अपने पोषक क्षेत्रों में माहवारी स्वच्छता कार्यक्रम को खुलकर नुक्कड़ सभा गीत द्वारा पुरानी पद्धति छोड़ नई पद्धति नैपकिन के प्रयोग के बारे मे जानकारी देकर उसके सुरक्षित जच्चा बच्चा के बारे में बताने की भरपूर प्रयास करेंगे।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

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