शुभस्य शीघ्रं अशुभस्य कालहरणम् -गिरीन्द्र मोहन झा

रावण के द्वारा दी गयी शिक्षा शुभस्य शीघ्रं अशुभस्य कालहरणम्(शुभ कार्य जब मन में आए तो उसे शीघ्र कर लो, अशुभ जब मन में आए तो उसे टालते चले जाओ।) का मेरे द्वारा हिन्दी काव्यानुवाद:
शुभ कार्य जब मन में आवे, यथाशीघ्र कर डालो,
अशुभ जब मन में आवे, जितना हो सके, टालो,
तेरे शुभ कार्यों की प्रसिद्धि तेरे इसी जीवन में हो,
निज शुभ कृत्यों से जग में पा यश अमर हो लो ।


गिरीन्द्र मोहन झा,

+2 शिक्षक, +2 भागीरथ उच्च विद्यालय, चैनपुर-पड़री, सहरसा

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