अच्छे माता पिता कैसे बने-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

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अच्छे माता-पिता कैसे बने

 

          बच्चे अनुकरणीय होते हैं। वे अपने से बड़ो को जैसा आचरण करते देखते हैं वैसा ही आचरण वे करने लगते हैं। छोटे बच्चों का अधिकांश समय अपने माता-पिता के पास ही बीतता है, अतः बच्चों पर माता-पिता के आचरण का अत्यधिक असर होता है। इसलिए हर माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे जिस तरह के व्यक्तित्व का निर्माण अपने बच्चों में करना चाहते हैं वैसा ही व्यवहार वे स्वयं करें। कहने का तात्पर्य है कि यदि हम चाहते है कि हमारे बच्चे झूठ नहीं बोले, सदाचारी हों, हर काम को समय से पूरा करें तो इसके लिए आवश्यक है कि हम स्वयं में इन गुणों को धारण करें क्योंकि हमारे कहने का असर बच्चों पर तभी होगा जब हम स्वयं वैसा करेंगे।

हर माता-पिता की यह चाहत होती है कि उनके बच्चे श्रवण कुमार की तरह मातृ-पितृ भक्त हो। अपने संतति को श्रवण कुमार बनाने के लिए आवश्यक है कि सर्वप्रथम हम स्वयं अपने माता-पिता के लिए श्रवण कुमार बने। जब बच्चे हमें अपने माता-पिता या सगे-संबंधियों के साथ शुभ आचरण करते देखेंगे तो निश्चय ही उनके मन में भी इन रिश्तों के प्रति त्याग व समर्पण का भाव विकसित होगा।

इसलिए अच्छे माता-पिता बनने के लिए आवश्यक है कि हम पहले अपना चरित्र निर्माण करें क्योंकि किसी को पढ़ाने से पहले स्वयं का पढ़ा-लिखा होना आवश्यक है। ठीक उसी प्रकार बच्चों में अच्छे गुणों का विकास करने के लिए पहले स्वयं में उन गुणों को धारण करना होगा।

इन सब के अतिरिक्त हमें बच्चों को इस तरह से तैयार करना होगा कि वे हर परिस्थिति में खुद को समायोजित कर सके। परिस्थिति चाहे कितनी भी विषम क्यों न हो उनके मन में नकारात्मक भाव उत्पन्न न हो। बच्चों को उनके हर अच्छे कार्यों के लिए  प्रोत्साहित करें एवं गलत कार्यों को वे पुनः नहीं करे इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देने की आवश्यकता है। हमें कभी भी एक बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करनी चाहिए। हर बच्चों में कुछ खास गुण होते हैं उन गुणों को पहचान कर उसे विकसित करने की चेष्टा माता-पिता को करनी चाहिए ताकि बच्चे समाज में अपनी अलग एक पहचान बना सकें। हमें अपने बच्चों को पर्याप्त समय देना चाहिए। उनकी हर बात को ध्यान पूर्वक सुने और उन्हें प्यार व स्नेह दे।

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर

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