बचपन और उसकी यादें : रूचिका

बचपन और उसकी यादें जब भी जेहन में आ जाती हैं तो होठों पर बरबस ही मुस्कान चली आती हैं।बचपन के दिनों में गर्मी की छुट्टियों का वर्षभर बेसब्री से… बचपन और उसकी यादें : रूचिकाRead more

पटना का गोलघर-एक ऐतिहासिक स्मारक : हर्ष नारायण दास

पटना विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है।अपनी ऐतिहासिक गाथा के क्रम में इस नगर के नाम कई बार परिवर्तित हुए।कुसुमपुर, पुष्पपुर, अजीमाबाद, पाटलिपुत्र, पाटलिग्राम इत्यादि नामों से प्रसिद्ध… पटना का गोलघर-एक ऐतिहासिक स्मारक : हर्ष नारायण दासRead more

शिशिर ऋतु का मध्य! : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

दिसंबर के महीना! दिल्ली की ठंड। शीत लहरी! रात के 10 बज रहे थे। ऊना अपनी माँ और पापा के साथ मौसी के घर से अपने घर आ रही थी।… शिशिर ऋतु का मध्य! : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more

अंग्रेजी शिक्षा का खालीपन : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

सुरेश बहुत खुश था। पिता बनने के सुख की अनुभूति से आह्लादित वो फुले नहीं समा रहा था। बार-बार भगवान को धन्यबाद देता हुआ वो कभी अपनी पत्नी तो कभी… अंग्रेजी शिक्षा का खालीपन : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more

अंग्रेजी भाषा में शिक्षण की सार्थकता : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

अंग्रेजी भाषा की यात्रा एक सामान्य पिछड़े कबीले से शुरू होकर जहां के सभ्य सुसंस्कृत कहे जाने वाले लोगों से तिरस्कृत स्थिति से आज कालजयी और परिधिमुक्त स्थिति को प्राप्त… अंग्रेजी भाषा में शिक्षण की सार्थकता : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more

प्लास्टिक हटाएँ, पर्यावरण बचाएँ : देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

पर्यावरण हमारे लिए एक बहुचर्चित विषय है तथा यह पूरी दुनिया के लिए एक ज्वलंत समस्या है। इस वर्ष पर्यावरण दिवस का विषय है: ” वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण का अंत।”… प्लास्टिक हटाएँ, पर्यावरण बचाएँ : देव कांत मिश्र ‘दिव्य’Read more

प्रकृति की गोद में एक दिन (यात्रा वृत्तांत) : सुरेश कुमार गौरव

वर्षा ऋतु की प्रातःकाल थी। आकाश हल्के बादलों से ढका था और धरती पर ओस की बूंदें फूलों की पंखुड़ियों से फिसल रही थीं। मैंने निश्चय किया कि आज एक… प्रकृति की गोद में एक दिन (यात्रा वृत्तांत) : सुरेश कुमार गौरवRead more

हम और हमारा पर्यावरण : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

हम सब प्रकृति के अंग और सहचर हैं साथ ही सबसे बुद्धिमान होने का गौरव भी हमें प्राप्त है। सभ्यता के विकास के साथ हमने अपनी सुविधाओं के लिए संसाधनों… हम और हमारा पर्यावरण : डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more

फूल और पर्यावरण : रूचिका

“माँ! माँ देखो न मैं कितने सारे फूल तोड़ कर लाया हूँ।” अति उत्साह से यह कहते हुए दस वर्षीय मयंक माँ के सामने एक प्लास्टिक के थैले से ढेर… फूल और पर्यावरण : रूचिकाRead more

पर्यावरण: जीवन का आधार और उत्तरदायित्व : सुरेश कुमार गौरव

भूमिका: पर्यावरण शब्द उस समग्र प्राकृतिक परिवेश को दर्शाता है जिसमें हम सभी जीवित प्राणी सांस लेते हैं, जीवनयापन करते हैं और विकसित होते हैं। यह वायु, जल, भूमि, वनस्पति,… पर्यावरण: जीवन का आधार और उत्तरदायित्व : सुरेश कुमार गौरवRead more