एक शिक्षक की भूमिका-बीनू मिश्रा

एक शिक्षक की भूमिका

          जीवन में शिक्षक का किरदार बहुत ही खास होता है। वे किसी के जीवन में उस बैकग्राउंड म्यूजिक की तरह होते हैं जिनकी उपस्थिति मंच पर तो नहीं दिखती परंतु होने से नाटक में जान आ जाती है। ठीक इसी प्रकार हमारे जीवन में एक शिक्षक की भी भूमिका होती है। चाहे हम जीवन के किसी भी पड़ाव में हों, शिक्षक की आवश्यकता सबको पड़ती है। यह सर्वविदित है कि हमारे जीवन को संवारने में एक शिक्षक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में घोषित किया गया है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 ईस्वी को हुआ था। अध्यापन पेशे के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण उनके जन्म दिन को पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। वे एक राजनयिक, शिक्षक और भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में प्रसिद्ध थे।
जीवन तथ्य नहीं एक संभावना है, बिल्कुल उस फूल के बीज की तरह जिसमें हजारों लाखों फूल छिपे हैं पर प्रकट नहीं अप्रकट रूप से। उन्हें प्रस्फुटित करने के लिए उनको सींचने और महसूस करने की जरूरत होती है। शिक्षक भी एक फूल को ही सींचने का काम करते हैं। जिनमें हजारों लाखों बहुमूल्य विचार छिपे हुए हैं। शायद इसलिए एक शिक्षक को राष्ट्रनिर्माता कहा गया है। स्कूल में बच्चों के साथ भी कुछ इसी तरह फिलिंग्स की जरूरत होती है। हम शिक्षक अगर उन्हें यह महसूस करवाने में सफल हो जाते हैं कि ये प्रकृति, ये दुनियाँ कितनी खूबसूरत है, ये हमारे लिए क्या महत्व रखती है, और उनके अंदर कितनी असीम शक्ति है तो पृथ्वी दिवस, बाल दिवस या जल जीवन हरियाली जैसे एक दिवसीय कार्यक्रम की विशेष ज़रूरत नहीं रह जाएगी। हमारे बच्चे इनके महत्व को हमेशा के लिए समझ लेंगे और फिर यह औपचारिकता पूरा करने की विशेष महत्व नहीं रह जाएगी। जरूरत है तो बस यह कि हर बच्चे को उसकी क्षमता से पहचान करवाना और यह हम शिक्षकों की जिम्मेदारी है।
अंत में मैं अपने गुरु के बारे में दो शब्द लिखना चाहती हूँ –
“मेरी कलम जो आज इतना कुछ लिखती है,
यह कुछ और नहीं मेरे गुरु की मेहनत दिखती है।”
एक अच्छा शिक्षक आशा को प्रेरित करता है, कल्पना को प्रज्वलित कर सकता है और सीखने के प्रति प्रेम पैदा कर सकता है।

बीनू मिश्रा
प्रखंड नवगछिया, भागलपुर

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