जल ही जीवन है
“जल ही जीवन है” यह कहना तो बिल्कुल ही आसान है। मगर जल ही जीवन है कैसे इसको समझना थोड़ा मुश्किल है। जल से ही हमारे जीवन की उत्पत्ति हुई है। हम जल के बिना एक पल भी नहीं रह सकते। हम यह भी कह सकते हैं कि पैदा होने से लेकर मरने तक जल की आवश्यकता है। कोई ऐसा कार्य नहीं है जिसको हम बिना जल के निष्पादन कर सकें। किसी भी कार्य को पूरी तरह से निष्पादन करने के लिए जल की आवश्यकता है। हर छोटे काम से लेकर बड़े काम तक यहाँ तक कि हमें सांस लेने में भी जल की आवश्यकता महसूस होती है। हम यह भी कह सकते हैं कि जल के बिना तो जीवन ही अधूरा है। बावजूद इसके जल को बेवजह बर्बाद किया जा रहा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान तो सिर्फ़ और सिर्फ़ जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आ रहे हैं कि “जल ही जीवन है”। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। जल तो पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है, या यूं कहें कि सभी सजीवों के जीने का आधार तो जल ही है। धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है मगर इसमें से भी 97% पानी खारा है जो पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3% है। इसमें भी 2% पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है। इस प्रकार सही मायने में मात्र 1% पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है।
नगरीकरण और औद्योगिकीरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले की अपेक्षा और बढ़ती ही जा रही है लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे-तैसे गर्मी का मौसम गुज़ार दिया जाये। फिर तो बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जाएगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं और अपने दायित्व का निर्वहन करने में असमर्थ होते जा रहे हैं। अगर जल के प्रति हमारी निष्ठुरता ऐसी ही बनी रही तो हमारा भविष्य एक बूंद पानी के लिए तरसेगा।
जल संरक्षण में हमारा दायित्व
*हमें कम से कम पानी का उपयोग करना चाहिए।
* हर संभव हमें पानी का बचाव करना चाहिए।
* हमें बरसात के पानी का संचयन करना चाहिए।
* हमें जल संकट समस्या के बारे में लोगों भी को बताना चाहिए।
* हमें पानी को बेकार बहने से रोकना चाहिए।
एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
शिक्षक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
छोटका कटरा
मोहनियाँ कैमूर बिहार
सादर आभार
टीचर्स आफ बिहार
🙏 🙏🙏🙏🙏