कास्टिंग दृश्य-शहर के चौक का दृश्य।समय-एक बजे दिन।(बहुत
सारे बच्चे हाथों में कटोरा में रखी
भोजन को खाने के लिये छीना-
झपटी कर रहे हैं)।हमको खाने दो,भूख लगी है।भूख से मेरी जान निकली जा रही है।एक रोटी मुझेे भी खाने दो,बहुत जोर की भूख लगी है,भूख-भूख,भोजन नहीं मिलने पर भूख से मर जाउंगी।(बच्चे भूख से विलख रहे हैं।(नेपथ्य से) अरे दुनियां वालों
तुम लोग बच्चे पैदा करके,यों ही चौक चौराहे पर दूसरों के भरोसे जीने के लिये छोड़ दिया।जरा शर्म करो इन बच्चों को सड़कों पर दूसरों के भरोसे जीने के लिये छोड़ दिया। बच्चों को भगवान के भरोसे जन्म देकर छोड़ देना देश तथा इस पृथ्वी के लिये घातक है।हाँ,हाँ बच्चों को इसी तरह जन्म देकर छोड़ते चले जाओ,एक दिन देश निश्चित ही गर्त में चला जायेगा।(पर्दा गिरता है)
प्रथम अंक,प्रथम दृश्य
घर का दृश्य-(पति-पत्नी आपस में झगड़ रही हैं)।
भगलू-कलमुंही,मुझे पता नहीं था कि तेरी कोख से सिर्फ लड़की जन्म देना ही लिखा था।मैं पहले जानता तो कभी भी तुम्हारे साथ शादी नहीं करता।
कजरी-(हाथ जोड़कर) स्वामी,मेरे प्राणनाथ इसमें मेरा क्या अपराध है।लड़का या लड़की जन्म लेना तो ईश्वर के हाथों में है।(आश्चर्य चकित होकर)
देखिये न जी,मुझे कैसा लग रहा है,लगता है कोई नया मेहमान तो नहीं आने वाला है।
भगलू-लगता है
द्वितीय दृश्य,प्रथमअंक
अस्पताल का दृश्य-(बच्चे के रोने की आवाज)
डाॅक्टर-अरेओ भगलू जी कहाँ है,जल्दी आइये आपकी पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया है।आपको बेटी मुबारक हो।देखिये न बिल्कुल आपकी जैसी है।
भगलू-(सिर पर हाथ रखकर)हे भगवान मैं तो लूट गया।सिर्फ बेटी
हाय रे बेटी मेरी किस्मत में तो सिर्फ बेटी ही लिखी हुई है।आह, हे भगवान मेरा भी तो कल्याण करो।बेटे की चाहत में छः बेटियाँ हो गई।अब भगवान तुम मेरी कितनी परीक्षा लोगे।कम-से-कम वंश चलाने के लिये,मरने के बाद मुखाग्नि करने के लिये एक बेटा तो दे दो।(इसके बाद पत्नी को लेकर घर चला जाता है।
द्वितीयअंक,द्वितीय दृश्य
गाँव में चौपाल का दृश्य-(बहुत सारे लोग मिलकर,भगलू का मजाक उड़ाते हुए)देखा रे कलुवा,भगलुवा को इस बार भी लड़की ही हुआ।कहता था अबकी बार बेटा होगा।जाओ लगता है,उसकी पत्नी के भाग्य में बेटा जन्म देना लिखा हुआ नहीं है।
छीह-छीह शर्म नहीं आती है कि इस उम्र में भी बेटा पाने के लिये बच्चा जन्म दिये जा रही है।
(इसी बीच पुनः कजरी गर्भवती हो जाती है।)
कजरी-मेरे प्रणनाथ,मेरे स्वामी जी,मुझे लगता इस बार लड़का ही होगा।मुझे एक बार डाॅक्टर के पास ले चलिये न?
भगलू-ठीक है,चलोअंतिम बार तुम्हें अस्पताल लिये चलते हैं।
तृतीयअंक,तृतीय दृश्य
अस्पताल का दृश्य-(कजरी का प्रसव होने वाली है, वह प्रसव की पीड़ा से बैचेन है)
भगलू-(अपने आप में)लगता है अबकी बार लड़का होगा।(पुनः
अपने आप में)हाँ,हाँ लड़का होने के बाद परिवार नियोजन करवा लेंगे।(तभी अस्पताल से आवाज आती है)कजरी के साथ कोई अविभावक है?
भगलू- जी हाँ मैं हूँ न?क्या हुआ?
डाॅक्टर-आप बाप बन गये हैं,
लड़का हुआ है।(यह सुनकर भगलू खुशी से सराबोर होकर कहता है)छः बेटी के बाद बेटा हुआ है, आखिर बेटा तो हुआ न?
अपने मित्रों को जमकर पार्टी देंगें,डांस करेंगे,आखिर बेटा तो हुआ न?
अंतिम,दृश्य
(जनसंख्या विस्फोट का उदय,
ठहाका मारकर हँसते हुये)हा,हा,
हा मैं हूँ जनसंख्या विस्फोट,
नादान मनुष्यों की नादानी का प्रतिफल।खूब बच्चा पैदा करो,
अंधाधुंध जनसंख्या बढ़ा कर पृथ्वी का बोझ बढ़ा दिया,तबाही का आलम खड़ा कर दिया,लोगों को बेरोजगार बनाकर भूखों मरने के लिये छोड़ दिया,बच्चों को पैदा करके चौक-चौराहे पर हाथ में कटोरा लेकर भीख मांगने को मजबूर कर दिया।नदियों से अवैध
बालू उठाकर नदियों के अस्तित्व को मिटा दिया।विकास के नाम पर घर बनाने के लिये वनों को उजाड़ दिया।मूर्ख मानव,तूने यह कभी नहीं सोचा कि”लड़का हो या लड़की”सभी बराबर है।लगातार बच्चे पैदा करके धरती का बोझ बढ़ा दिया,जा तेरी तबाही,बर्बादी नजदीक ही है।
(इतने में त्राहिमाम करती जनसंख्या,हाथ जोड़कर)प्रभु
जी,अब मेरी रक्षा करो।
जनसंख्या विस्फोट-(जोरदार आवाज में)नहीं,नहीं मैं तुम्हारी रक्षा नहीं कर सकता हूँ।तुम बुजदिल मनुष्यों ने बिना सोचे-
समझे लगातार बच्चे को जन्म दिया है,प्रायश्चित तो तुम्हें भोगना ही होगा?
त्राहिमाम जनता-(पुनः हाथ जोड़कर)प्रभु जी कुछ तो उपाय बताइये।
जनसंख्या विस्फोट-तो तुमलोग कहते हो,तो सुनो।बच्चे दो ही अच्छे।लड़का हो या लड़की सभी एक समान है।परिवार नियोजन कराओ।जरूरत पड़ने पर गर्भ निरोध की गोली खाओ।जनसंख्या विस्फोट रोकने के
प्राकृतिक तथा कृत्रिम उपायों का प्रयोग करो।समय-समय पर चिकित्सक की सलाह लो।(कहते-
कहते जनसंख्या विस्फोट महाराज जी अंतर्ध्यान हो जाते हैं।(पर्दा गिरता है,नेपथ्य से एक गीत बजती है)
गीत-भूख-भूख करते-करते भूख से मर गई संतोषी।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार
“विनोद”प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय
पंजवारा,बांका(बिहार)।