बहुभाषावाद एक से अधिक भाषाओं को बोलने , समझने, पढ़ने और लिख सकने की क्षमता है । यह व्यक्तिगत या सामाजिक क्षमता हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि कोई व्यक्ति या समुदाय एक से अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है या नहीं । भाषा संचार , अधिगम (लर्निंग) और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का एक शक्तिशाली साधन है । यह मानव विकास और पहचान का एक प्रमुख पहलू भी है । हालाँकि भारत जैसे विविध और बहुभाषी देश में शिक्षा के लिए भाषा उल्लेखनीय चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती है ।
शिक्षा में बहुभाषावाद का महत्व – शोध से पता चलता है कि एक से अधिक भाषा सीखने से मस्तिष्क के कार्यो , जैसे – स्मृति, ध्यान, समस्या – समाधान और रचनात्मकता को बढ़ावा मिल सकता है । यह बहुभाषिक जागरुकता (metalinguistic Awareness ) में भी सुधार कर सकता है, जो भाषा संरचनाओं एवं नियमों पर गंभीरता से मनन करने और कुशलतापूर्वक उनका उपयोग कर सकने की क्षमता है ।
सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना – विभिन्न भाषाओं को सीखने की प्रक्रिया में छात्र विभिन्न संस्कृतियों , दृष्टिकोणों और मूल्यों से परिचित होते हैं । यह उनमें अन्तर – सांस्कृतिक क्षमता को विकसित करने में भी मदद कर सकता है, जो विविध पृष्ठभूमि के लोगों के साथ प्रभावी ढंग से और उचित रूप से संवाद कर सकने की क्षमता है । आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त 22 से अधिक भाषाओं और सैंकड़ों उप – भाषाओं / बोलियों (जिनमें से प्रत्येक का अपना अनूठा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है ) के साथ भाषा हमारी पहचान का एक महत्वपूर्ण पहलू है ।
शैक्षणिक उपलब्धि में सुधार – अध्ययनों से लगातार पुष्टि हुई है कि जो छात्र अपनी मातृभाषा या घर में प्रचलित भाषा में शिक्षा प्राप्त करते हैं, वे स्कूल में उन छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं जिन्हें विदेशी या अपरिचित भाषा में शिक्षण प्रदान किया जाता है । ऐसा इसलिए है ; क्योंकि वे पाठ्यक्रम सामग्री तक अधिक आसानी और आत्मविश्वास से पहुँच सकते हैं तथा अपने कौशल एवं ज्ञान को अन्य भाषाओं में स्थानान्तरित कर सकते हैं।
बहुभाषी शिक्षा को लागू करने के उपाय :- बहुभाषी शिक्षा , शिक्षार्थियों और समुदायों की भाषायी वास्तविकताओं एवं आवश्यकताओं पर आधारित होनी चाहिए ।
इसे संवैधानिक प्रावधानों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( NEP 2020 ) के त्रि – भाषा फॉर्मूले का भी सम्मान करना चाहिए । आर्दशतः बहुभाषी शिक्षा का आरंभ शिक्षा के माध्यम के रूप में शिक्षार्थियों की मातृभाषा या घरेलू भाषाओं को विषय या शिक्षा के अतिरिक्त माध्यम के रूप में पेश किया जाना चाहिए ।
भारत के लिए बहुभाषी शिक्षा के लाभ :-
- मानव पूँजी में वृद्धि : – बहुभाषी शिक्षा शिक्षार्थियों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे – शिक्षा, रोजगार, अनुसंधान, नवाचार आदि में भाग लेने के लिए आवश्यक भाषा कौशल एवं दक्षताओं से लैस कर सकती है । यह वैश्वीकृत दुनिया में उनकी रोजगार पात्रता और गतिशीलता को भी बढ़ा सकती है ।
- भाषायी विविधता का संरक्षण : – बहुभाषी शिक्षा भारत की भाषायी विविधता और विरासत को संरक्षित करने और उनका पुनरुद्धार करने में मदद कर सकती है ।
- राष्ट्रीय एकता को सशक्त करना :- बहुभाषी शिक्षा विभिन्न भाषाओं के लोगों और विभिन्न संस्कृतियों के बीच परस्पर समझ एवं सम्मान को बढ़ावा दे सकती है । यह भारत में विविध आबादी समूहों के बीच सामाजिक एकता और सद्भाव को भी बढ़ा सकती है ।
- शिक्ष में बहुभाषावाद से सम्बद्ध प्रमुख चुनौतियाँ :-
- संसाधनों की कमी :- बहुभाषी शिक्षा को लागू करने के लिए पर्याप्त संसाधनो की आवश्यकता होगी जैसे – प्रशिक्षित शिक्षक, उपयुक्त पाठ्यक्रम , गुणवत्तापूर्ण पाठ्य – पुस्तकें , मूल्यांकन उपकरण और डिजिटल प्लेटफार्म । हालाँकि कई स्कूलों में, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में, इन संसाधनों की कमी पायी जाती है ।
- नीति समर्थन का अभाव :- हालाँकि , NEP 2020 और निपुण भारत मिशन ( NIPUN ) बहुभाषी शिक्षा की वकालत करते हैं, लेकिन नीति और व्यवहार के बीच अभी भी अन्तर मौजूद है । कई राज्यों ने अभी तक इन नीतियों को प्रभावी ढंग से अंगीकृत या क्रियान्वित नही किया है।
- जागरुकता में कमी :- माता – पिता , शिक्षक, छात्र और नीति – निर्माताओं की एक बड़ी संख्या बहुभाषी शिक्षा के लाभ से अवगत नहीं है ।
कुछ भाषाओं या बोलियों के बारे में वे गलत फहमियों या पूर्वाग्रह हो सकतें हैं । वे शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी को प्राथमित्रता भी दे सकते हैं, जहाँ वे यह धारणा रखते हैं कि यह उनके बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर अवसर प्रदान करेगी। - निष्कर्ष : – भारत को ‘ LEAP’ ( लैंग्वेज इम्पावरमेंट फॉर अचीविंग पोटेन्शियल ) का अंगीकरण करने की आवश्यकता है । लीप बहुभाषावाद का समर्थन करके और शिक्षकों को पर्याप्त प्रशिक्षण एवं संसाधन प्रदान करके भाषायी कौशल को बढ़ाने, संज्ञानात्मक विकास में सुधार लाने और सांस्कृतिक रूप से विविध एवं बौद्धिक रूप से समृद्ध शैक्षिक वातावरण का सृजन करने में मदद करेगा।
आशीष अम्बर
(शिक्षक )
उत्क्रमित मध्य विद्यालय धनुषी
प्रखंड – केवटी
जिला – दरभंगा
बिहार