वो छोटी सी लड़की
कभी-कभी राह चलते हुए भी हमें एक पल की घटना अंदर तक झकझोर कर रख देती है। हम निःशब्द हो जाते हैं कि क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करें। ऐसी ही एक घटना है जिसने मुझे भी विचलित कर दिया था कुछ देर के लिए।
उस दिन मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी और गर्मी भी अपने चरम सीमा पर थी। धूप इतनी तेज थी कि मानो शरीर जल जाए, इसलिए मैंने अपनी स्कूटी माँ के घर पर ही छोड़ दी और अपने भाई से कहा कि वह मुझे अपनी गाड़ी से आज ऑफिस तक पहुँचा दें। हम साथ में ऑफिस के लिए निकले। भाई गाड़ी धीमी रफ्तार में चला रहा था। कुछ ही दूर आगे बढ़ने पर देखा कि एक महिला और दो छोटी बच्चियाँ एक साथ सड़क के किनारे चल रहे थे। सभी के कपड़े मैले-कुचैले थे। औरत के सिर पर घास फूस से भरी भारी गठरी थी जिसे वह अपने दाँये हाथ से थामे थी और बाँये हाथ में प्लास्टिक का एक झोला था जिसमें कुछ बर्तन थे। उनमें से एक लड़की ने भी अपने सिर पर घास की बोरी रखी थी। उसकी उम्र शायद 8 या 9 वर्ष रही होगी और दूसरी लड़की जो उससे भी छोटी थी, शायद 4 या 5 वर्ष की रही होगी, उसके हाथ में एक छोटी सी हरी पत्तेदार टहनी थी जिसके साथ वह खेल कर काफी खुश हो रही थी । ऐसा लग रहा था कि जैसे वे लोग किसी के खेतों में मजदूरी करने गए थे और लगे हाथ मवेशियों के लिए हरी घास एवं पतियाँ इकट्ठा करके लिए जा रहे है।
धूप काफी तेज थी इसलिए वे लोग तेज कदमों से चले जा रहे थे पर छोटी बच्ची अपनी उस पतली पत्तेदार टहनी से अपनी माँ को छूकर बहुत खुश हो रही थी। उस तपती गर्मी में भी छोटी बच्ची बहुत सहज महसूस कर रही थी। उस औरत और उन दोनों छोटी बच्चियों के इन सारी गतिविधियों पर मेरा ध्यान तब तक नहीं गया था, जब तक की उस औरत ने छोटी बच्ची को प्लास्टिक के थैले (जो कुछ बर्तनों से भरा था) से जोर से मार कर सड़क पर नहीं गिरा दिया और उसके बाद बच्ची पर लातों की बौछार कर दी थी । उस छोटी बच्ची का कसूर बस इतना था की उस चिलचिलाती धूप में भी उस छोटे से हरी पत्तेदार टहनी से उस औरत (जो शायद उसकी माँ रही होगी) के साथ खेलने का आनंद लेना चाह रही थी। उस औरत के दोनों हाथ में सामान का बोझ होने के कारण उस बच्ची को लातो से ही सड़क पर मारने लगी और अपने मन की क्रोध, कुंठा, निराशा को गालियों और डाँट द्वारा उस बच्ची पर निकालने लगी। बच्ची एकदम से सदमे में आ गयी। उसे इस अप्रत्याशित प्रत्युत्तर की कल्पना नहीं थी। वह इतनी भयभीत थी की मार खाने के बाद भी कोई आवाज नहीं कर पाई। उसके रोने की आवाज भी उसके गले के अंदर ही दबकर रह गई।
मैं स्तब्ध थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह क्या हुआ। ऐसा लग रहा था जैसे वह चोटें छोटी बच्ची को नहीं, मेरे कलेजे पर लगी हो। मैं बहुत विचलित हो गई।
आखिर कोई अपनी बच्ची के साथ ऐसे निर्दयतापूर्वक कैसे पेश आ सकती है । बच्चे तो नासमझ होते हैं। गलतियाँ करना उनका हक होता है पर एक स्त्री इतनी कठोर कैसे हो सकती है कि बच्चे की मनोदशा को न भांप सके। मन किया कि जाकर उसे डाँट लगाऊँ और बच्ची को सांत्वना दूँ पर मेरी गाड़ी अपनी रफ्तार में थी और मैं काफी आगे तक जा चुकी थी । वह महिला और छोटी बच्ची जो सिर पर बोझ रखे थे फिर से सड़क के किनारे चलना शुरू कर दिए थे। मैं पीछे मुड़-मुड़कर बार-बार देख रही थी कि वह बच्ची उठी या नहीं। फिर देखा कि वह बच्ची गर्दन झुकाए अब चुपचाप उस औरत के पीछे-पीछे चल रही थी। मैं पीछे मुड़कर तब तक उस छोटी सी लड़की को देखती रह गई जब तक की वह मेरी आँखों से ओझल न हो गई।
प्रियंका कुमारी
मध्य विधालय मलहाटोल सीतामढ़ी
बहुत अच्छी कहानी है।
Kya khub Likhe Ho Didi mind blowing 🙏
आप बहुत अच्छा लिख भी सकती है।
बहुत ही मार्मिक कहानी….आपकी भाषा शैली बहुत अच्छी है👍
आपने इस कहानी के माध्यम से सामाजिक सोच को बहुत ही मार्मिकता के साथ प्रस्तुत किया है। लाजवाब ।
बहुत अच्छी कहानी…
अंतर्मन को छू गई यह सत्य लघुकथा
वास्तव में स्त्रियां कठोर नहीं होतीं, परंतु कभी-कभी परिस्थिति उन्हें ऐसा बनने को मजबूर देती हैं।
अंतर्मन को छू गई यह सत्य लघुकथा
वास्तव में स्त्रियां कठोर नहीं होतीं, परंतु कभी-कभी परिस्थिति उन्हें ऐसा बनने को मजबूर कर देती हैं।
धन्यवाद ToB 🙏
मेरी लेखनी पर अपना अमूल्य समय एवं टिप्पणी देने के लिए आप सभी पाठकों का हृदय से आभार 💐🙏
लेखिका काफी सिद्धस्थ हैं जो अपनी एक लघु कहानी से स्वयं का यथार्थ परिचय कराती हैं।इनकी कहानी लघु होते हुए भी अर्थ की व्यापकता लिये हुए है।जहाँ बच्ची की मां बेशक परिस्थितियों में रचवश कर गरीबी कुन्ठाओ से ग्रासित है परन्तु ममता रूपी अश्रु हृदय में प्रज्वलित है तभी तो तपती तेज धूप में बेवक्त क्रीडा से रोकती है और एक ओर स्पष्ट है कि राजा हो या रंक बचपन सबके एक हो रहता है भले साज-सज्जा से बाह्य रूप विषम,परंतु आन्तरिक रूप एक ही रहता है।
लेखिका की कहानी अदृश्य अर्थ में है जहाँ परिस्थिति दिशा और दशा का अवलोकन करने समाज के सामने छोड़ दिया है।
Bahut khub ji
बहुत खूब
Heart touching