उपदेश से उदाहरण अच्छा
एक बार की बात है। एक बच्चा जिसका नाम मोहन था वह अपनी माँ के साथ रहता था। वह तंबाकू बहुत खाता था। वह हमेशा तंबाकू खाया करता था। वह खाना खाने के बाद तुुरंत तंबाकू खाता। उसकी माँ को चिंता होने लगी क्योंकि अति कोई भी चीज खराब होती है। उसकी माँ सोचने लगी कि किस तरह से मोहन की आदत में सुधार लाया जाय। वह उपाय ढूँढने लगी। किसी ने उसे बताया की एक साधु बाबा है जो हर समस्या का उपाय निकालते है।
मोहन की माँ उसे साधु बाबा के पास ले गई और अपनी समस्या को सुनाई। साधु बाबा ने समस्या को सुनकर बोले- ऐसी बात है तो कल आना। मोहन की माँ रमा अपने बेटे को लेकर वापस आ गई। दूसरे दिन फिर वह साधु के पास मोहन को ले गई। साधु बाबा ने रमा को फिर कल आने की बात कही। रमा का मन दुःखी हुआ कि रोज साधु बाबा कल कहकर टालते जा रहे है। पता नहीं कल आने पर फिर न टाल दे। तीसरे दिन फिर वह मोहन को लेकर गई। साधु बाबा ने दोनों को बैठने को कहा। उन्होंने मोहन को अपने पास बुलाकर बड़े प्यार से देखा और बोला- बेटे तंबाकू नहीं खाना चाहिए। ठीक है अब जाओ।
मोहन की माँ रमा को गुस्सा आया फिर भी वह अपने गुस्से पर नियंत्रण करके बोली-
साधु बाबा! ये बात तो आप कल भी बोल सकते थे। बस इतनी सी बात के लिए आपने मुझे तीन दिन बुलाया। कुछ और कहके टालते गए। आज भी सिर्फ यही बात कहके हमें जाने को कह रहे हैंं। इतनी सी बात के लिए हमें रोज आना पड़ा। वह अन्दर से दुःखी होते हुए ऐसा बोली। तत्पश्चात रमा की बात सुनकर साधु बोले- बेटी! कल मैं यह बात नहीं कह सकता था। रमा ने आश्चर्य करते हुए पूछा- परन्तु क्यों? ऐसी क्या बात थी जो आप नहीं कह सकते थे।ये साधारण सी बात तो आप कल ही बोल सकते थे।
उसकी बातों को सुनकर साधु बोला-
बेटी! पहले मैं यह बात नहीं बोल सकता था क्योंकि मैं कल तक स्वयं तंंबाकू खाता था। मैं खुद खाकर दूसरे को कैसे मना कर सकता था किन्तु आज मैं तंंबाकू नहीं खाता हूँ इसलिए आज मैं मना कर सकता हूँ कि तंबाकू नहीं खाना चाहिए। मैं खुद तंबाकू खाकर दूसरे को उपदेश देना उचित नहीं समझता हूँ। इसीलिए मैनें तुम्हें तीन दिन परेशान किया आने के लिए।
इस पर रमा साधु बाबा को बोली- कोई बात नहीं बाबा। आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।आपकी बातों से मैनें भी कुछ सीखा। उसके हृदय में बाबा के प्रति कोई नाराजगी नहीं रही और खुश होकर वहाँ से चल दी।
सीख– इस प्रेरक प्रसंग से हमें यह सीख मिलती है कि जब हम किसी को उपदेश दे तो पहले उस काबिल खुद हो जाएँ तब ही दे सकते हैं।
अतः उपदेश से उदाहरण अच्छा है
Example is better than perfect.
रीना कुमारी
प्राथमिक विद्यालय सिमलवाड़ी पश्चिम टोला
बायसी पूर्णियाँ
100% right bhabhi👍
Nice & inspirational story!
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आदर्स चरित्र निर्माणं
अनुकरणीय, बहुत अच्छा इसी तरह लिखते रहिये
वास्तविकता का चित्रांकन
👌👌👌👌
इस परेरक प्रसंग से हमें प्रेरणा मिलती है कि दूसरे को उपदेश देने से पहले हम खुद अपने आप में यह आकलन कर ले कि जो उपदेश हम दूसरे को दे रहे है वो हम खुद पहले से कर रहे है कि नहीं
वास्तविकता का चित्रांकन
बहुत ही बेहतरीन व प्रेरणादायक कहानी👌👌
Motivational! Superb 👌
bahut hi achcha…
अति सुंदर