कराहती सड़कें- श्री विमल कुमार “विनोद”

Bimal Kumar

ओपनिंग दृश्य-(गिट्टी,अलकतरा, पानी,बालू,रोड रोलर मशीन आदि सड़क पर विचार-विमर्श कर रहे हैं)
गिट्टी-(अलकतरा से)अरे भाई अलकतरा तुम तो बहुत शक्तिशाली हो फिर भी तुम हमको मजबूत नहीं कर पाते हो।तुम जब सड़क बनाते समय हमको जोर से दाबोगे तो सड़क को मजबूत बना दोगे।
पानी-हाँ,हमको पूरा करके देना ताकि हम बलकस मिट्टी को दाब कर मजबूत कर देंगे।सड़क को बहुत लंबे समय तक खराब नहीं होने देंगे। मेरा कोई दोष नहीं है काहे कि रोलर मशीन वाले डीजल बचाने के लिये सड़क को धीरे-धीरे दबाता है,इसीलिये सड़क मजबूत नहीं हो पाता है,जिसके चलते सड़कें कराहती रहती है।
रोड रोलर-अरे भाई,गिट्टी,बालू, पानी मेरा कोई दोष नहीं है,हम तो मशीन हैं,मनुष्य जैसे चलायेगा,हम वैसे ही चलेंगे।मेरा कुछ भी दोष नहीं है।
गिट्टी-(अपने आप में अफसोस करते हुये)सड़क बनाने वाली कंपनी, रोलर और सरकार के कारण ही सड़क की बदनामी हो रही है।इसी के दुःख-दर्द के कारण मैं कराह रही हूँ,मेरे दुःख-दर्द का मूल कारण सड़क बनाने वाली कंपनी की अनदेखी है।(सभी का प्रस्थान)
(पर्दा गिरता है)

प्रथम अंक,प्रथम दृश्य

सड़क निर्माण स्थल-(रोड रोलर से सड़क की खुदाई हो रही है)
सड़क-भाई रोड रोलर तुम खुदाई ठीक से करना क्योंकि तुम लोग ठीक से खुदाई नहीं करते हो और दोष मेरा होता है।साथ ही सड़कों पर चलने वालों की दुर्घटना होने पर भी दोषी तो मैं ही होता हूँ।
रोड रोलर-भाई मेरा कोई दोष नहीं है,मैं तो एक मशीन हूँ,मुझे जैसा चलाया जाता है वैसा ही चलता हूँ।
गिट्टी-मेरे प्रिय बलकस मिट्टी,पानी अलकतरा तुम लोग हमको खुल कर साथ दो ताकि मैं मजबूत होकर ठीक से रह सकूँ।
अलकतरा-मेरा तो कुछ भी दोष नहीं है,मैं स्थिर होकर रहता हूँ।मेरा कोई दोष नहीं है,सड़क बनाने वाली कंपनी अपनी ओर से कम समान देता है,साथ ही विभाग की ओर से मानक से कम समान लगाया जाता है,तभी तो मैं कमजोर हो जाता हूँ।
सड़क-(अफसोस करते हुये)दोष सभी का और बदनामी मेरी।हाय रे मेरी किस्मत दूसरे का भलाई करने के चक्कर में मैं ही बदनाम हो जाता हूँ।
बालू-ऐ भाई पानी तुम हमको पूरा साथ देना ताकि हम मजबूत हो सकें।पानी जब तुम हम पर अधिक कृपा करोगे तब हम मजबूत हो जायेंगे और सड़क भी मजबूत हो जायेगा।
पानी-ठीक है,जैसा आदेश हो,हम तो तैयार हैं,लेकिन टैंकर वाला अधिक पानी देगा तब न!टैंकर वाला पानी देने में ही कमी कर देता है तो फिर मेरा क्या दोष है।
सड़क-ठीक है,भाई पानी,बलकस मिट्टी,गिट्टी,रोड रोलर सभी मिलकर हमको ठीक से बनाओ,मैं जरूर मजबूत हो जाऊँगा।
सभी मिलकर-हमलोग सभी मिलकर सड़क बनाने वाली कंपनी तथा सड़क निर्माण विभाग से गुहार करेंगे कि
सड़क का निर्माण ठीक से कराया जाय ताकि लोग सड़क को दोष नहीं दे सके।सड़क खराब बनती है तो दोषी सड़क को क्यों बनाया जाता है।दोषी तो संबंधित विभाग तथा सड़क निर्माण कंपनी है,समान का मानक के अनुसार न मिल पाना है,
स्थानीय लोग सड़क बनाने वाले कंपनी से रंगदारी माँग लेते हैं,वह दोषी है।इसलिये सड़क का दोष देना अफसोस की बात है।हम सभी गिट्टी,बालू,पानी,अलकतरा सभी मिलकर आंदोलन करेंगे ताकि सड़क ठीक से बन सके।
(सभी का प्रस्थान)(पर्दा गिरता है)

द्वितीय अंक,प्रथम दृश्य

जनता-देखो,देखो सड़क का हाल,उ हरिया का सड़क पर दुर्घटना ग्रस्त होकर मौत हो गया।
मोनू-दोष गाड़ी वाले का नहीं दोष तो सड़क का है जो कि उबड़-खाबड़ है,गड्डा में तब्दील हो गया है।सड़क कैसी लग रही है जो कि चलने के लायक नहीं है।
सड़क-(अफसोस करते हुये)अरे भाई मुझे तो गिट्टी,बालू,पानी, अलकतरा ने मिल कर बनाया है।
साथ ही कुछ स्वार्थी,भ्रष्ट लोगों ने मिलकर सरकार के द्वारा आवंटित किये गये रूपये का बंदरबांट करते हुये आधा रूपया तो कमीशन में ही हजम कर लिया तो फिर मेरा क्या दोष है।
सरकार-मेरा भी कोई दोष नहीं बड़े-बड़े पहुँच वाले लोग मिलकर कमीशन खाकर सड़क की दुर्दशा कर देते हैं।
सड़क-(कराहते हुये)मेरे प्रिय मित्र गिट्टी,गारा,बलकस मिट्टी,रोडरोलर सभी मिलकर मेरी मरम्मत कर दो मैं भी सुन्दर,मजबूत,अच्छा बनना चाहती हूँ।मैं भी चाहती हूँ कि मेरे ऊपर चलने वाले मेरा नाम ले,
क्योंकि कोई दुर्घटना करके मरता है तो मैं भी दोषी हो जाता हूँ।
(सब मिलकर एक साथ)हम सभी गिट्टी,पानी,अलकतरा,रोड रोलर मिलकर कसम खाते हैं कि सड़क हमारे परिवार का बड़ा भाई है,जो कि दुःख-दर्द सहकर भी अपने सीने पर बड़ी-बड़ी गाड़ियों का बोझ उठाता है,हमलोग सभी मिलकर सड़क को मजबूत बनायेंगे।(सभी का प्रस्थान)
(पर्दा गिरता है)

तृतीय अंक,प्रथम दृश्य

सड़क का दृश्य-(सड़क उबड़- खाबड़ी हो गई है जिसमें गाड़ी चल रही है)
सवारी-(हिचकोले लेते हुये बगल वाले को)जरा ठीक से सीट को पकड़ कर बैठना।
दूसरा सवारी-क्या हुआ,डर लग रहा है क्या?(तभी गाड़ी गड्डे में उतरती है)ड्राइवर साहब गाड़ी जरा धीरे चलाइये न,डर लगता है,
मेरा तो शरीर दर्द करने लगा।
तीसरा सवारी-अरे मुझे तो चोट लग गई,मुझे तो इस सड़क में चलने में डर लग रही है।(इसी बीच सामने से आ रही एक मोटर
साइकिल उबड़-खाबड़ सड़क में बस से साइड लेने के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है)
बस यात्री-(जोर से चिल्लाकर)ऐ बस ड्राइवर गाड़ी रोकिये,देखिये उ मोटर साइकिल का चालक
दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लगता है कि इसमें सड़क का ही दोष है जो कि उबड़-खाबड़ बनी हुई है।
बस यात्री-सरकार को सड़क की मरम्मत करानी चाहिये,ताकि सड़क पर चलने वाले सवारी को कष्ट न हो।
सड़क-(अपने आप में अफसोस करते हुये)मेरा कोई दोष नहीं है, सड़क बनाने वाला,थोड़ा-थोड़ा चिप्पी साट देता है,जो कि तुरंत ही खराब हो जाती है,और दोष सड़क का ही होता है।
सड़क यात्री-आखिरकार हमलोग मिलकर सड़क को मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
मोटर साइकिल चालक- सड़क पर चलते समय स्पीड ब्रेकर से टकराता है और गिर जाता है)
लगता है कि सड़क पागल हो गया है,एक तो सड़क टूट गई है,दूसरी ओर सड़क में अनगिनत स्पीड ब्रेकर भी लगा दिया गया है,कहीं सड़क पागल तो नहीं हो गया है जो अपने माथे पर ऊँचा-ऊँचा ब्रेकर लगा दिया है।
सड़क-नहीं भैया मोटर साइकिल वाला चालक।सड़क नहीं पगलाया है,बल्कि उस जगह का आदमी का दिमाग खराब हो गया है जो कि सड़क को बदनाम कर रहा है।
मोटर साइकिल चालक-अरे भाई सड़क तुम्हारे उपर तो देखते हैं कि सड़क के बीचो-बीच बिजली का खंभा लगा डाल दिया है।
सड़क-चलने का ढंग नहीं और सड़क को दोषी बनाता है।दारू पी लेगा,हेल्मेट नहीं पहनेगा और अंधाधुंध स्पीड में बिना साइड लिये गाड़ी चलायेगा तो मरबे करेगा।ठीक बोला भाई,मेरा कोई दोष नहीं।मैं तो पूरी तरह से निर्दोष हूँ लेकिन कोई जब दुर्घटना से मरता है तो दोषी मैं ही होता हूँ,कराहता मैं हूँ।

अंतिम दृश्य

टूटी-फूटी सड़क-(सड़क गड्डों में तब्दील हो चुकी है)
बस ड्राइवर-(यात्री से)आपलोग गाड़ी से उतर कर थोड़ी दूर पैदल ही चलिये न!
बस यात्री-कहे क्या हो गया ड्राइवर साहेब।
बस ड्राइवर-आगे सड़क टूटी हुई है,बड़े-बड़े गड्डे हो गये हैं।गाड़ी कभी-कभी करवट लेने लगती है।कल तो एगो गाड़ी पलटी मार दिया था,जिसके चलते दस यात्री दुर्घटना स्थल में ही मर गया।
सड़क-इसी कारण से मैंअपने आप में बहुत उदास है,सड़क के सीने में खून बह रहा था,जिससे दुर्घटना वाला यात्री के साथ-साथ सड़क भी कराहते हुये अफसोस कर रहा था कि मेरा क्या दुर्भाग्य है कि मैं प्रतिदिन सड़क दुर्घटना में मरने वाले यात्री को देख रहा हूँ।मरने वाले के परिवार सड़क जाम भी करते हैं,लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
बस यात्री-तब सड़क भाई क्या किया जाय?
सड़क-मैं तो बड़ी-बड़ी गाड़ी के मेरे सीने पर चलने के कारण उसके दुःख-दर्द के चलते प्रतिदिन कराह रहा हूँ।मैं भगवान से मनाता हूँ कि”ईश्वर सरकार,जनता तथा सड़क बनाने वाले को सुबुद्धि प्रदान करे ताकि सड़क का निर्माण ठीक से हो सके ताकि मेरे सीने में दर्द कम हो।
(पर्दा गिरता है)
(समाप्त)
आलेख साभार-श्री विमल कुमार “विनोद”प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,
बांका(बिहार)

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