चुनमुन और रघु का घर गांव से बाहर थोड़ी दूरी पर था। वहीं पास में एक बड़ा और घना बगीचा था। वे दोनों अपने माता-पिता के साथ रहते थे।चुनमुन दूसरी कक्षा की छात्रा थी,जबकि रघु अभी बहुत छोटा था जिस कारण स्कूल नहीं जाता था। स्कूल में गर्मी की छुट्टी हो गई थी। चुनमुन भी घर पर ही रहकर मम्मी-पापा के काम में हाथ बटाती तथा अपने भाई रघु के साथ खेलती थी। जब उनके मम्मी-पापा काम पर चले जाते,चुनमुन होमवर्क बनाकर रघु के साथ बगीचा में खेलने जाती, जहां पर वे दोनों अपने खिलौने तथा पेड़ पौधों के गिरे हुए पत्ते,फूल,टहनी इत्यादि से खेलते थे। जिस पेड़ के नीचे खेलते उसी पेड़ पर एक तोता रहता था। इन दोनों को खेलते देख तोता का भी मन उनके साथ खेलने का करता।तोता धीरे-धीरे चुनमुन और रघु के करीब आया और उनका दोस्त बन गया। अब तीनों दोस्त खुशी-खुशी खेलते।
एक दिन की बात है, चुनमुन और रघु पेड़ के नीचे खेल रहे थे, उस दिन तोता बाहर भोजन की तलाश में गया था। अचानक,चुनमुन को याद आया कि मम्मी बोली हैं कि बाहर सूखने के लिए कपड़े रखे है, सुख जाने पर अंदर रख देना नहीं तो धूप से जल जायेंगे।चुनमुन रघु से बोली कि तुम यही खेलो मैं जल्दी से बाहर रखे कपड़ों को अंदर रख के आती हूं।चुनमुन दौड़ी-दौड़ी घर की तरफ भागी तबतक रघु को एक तितली दिखी,वह बहुत सुंदर थी। रघु उसके पीछे दौड़ा तितली के पीछे-पीछे वह बगीचे में अंदर चला गया। बगीचा बहुत घना था।रघु रास्ता भटक गया और रोने लगा।जब चुनमुन आई तो रघु को वहां नहीं देख घबरा गई। वह जोर-जोर से रघु… रघु….कहकर पुकारने लगी और दौड़ दौड़कर इधर-उधर रघु को खोजने लगी।लेकिन रघु कहीं दिखाई नहीं दिया और ना ही उसकी आवाज सुनाई दी। वह घबरा गई रोने ही वाली थी,तभी उसे उसका दोस्त तोता दिखाई दिया। तोता से चुनमुन ने सारी बातें बताई और हाथ जोड़कर मदद मांगी ।तोता फौरन अपने दोस्त रघु को ढूंढने के लिए बगीचा में उड़ चला।पेड़ के नीचे-नीचे उड़ते हुए उसने रघु को ढूंढना शुरू किया। इधर चुनमुन भी रघु… रघु… पुकारती रही।तोता ने देखा रघु एक घने पेड़ के नीचे रो रहा है। तोता उसके पास गया,तोता को देखते ही रघु खुश हो गया। फिर तोता धीरे-धीरे,आगे-आगे उड़ने लगा और रघु उसके पीछे-पीछे चलने लगा। दोनों जल्दी ही चुनमुन के पास पहुंच गए। तीनों दोस्त एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश हुए। चुनमुन और रघु ने अपने दोस्त तोता को बहुत-बहुत धन्यवाद कहा और अपने घर बुलाकर ले गए।रघु ने घर जाकर दीदी को सारी बातें बताई। चुनमुन ने रघु को बताया कि बड़ों से बिना बताएं और बिना पूछे हमें कोई काम नहीं करनी चाहिए।