कर्म और उसका फल : गिरीन्द्र मोहन झा

संस्कृत भाषा के कृ धातु में अच् प्रत्यय के योग से कर्म शब्द बना है। यत् क्रियते तत् कर्म अर्थात् जो किया जाता है, वही कर्म है।कर्म तीन प्रकार के… कर्म और उसका फल : गिरीन्द्र मोहन झाRead more

एक बेटी की उड़ान : सुरेश कुमार गौरव

गौरी को जब पहली बार आसमान में उड़ते हवाई जहाज़ को देखने का मौका मिला, वह बस चुपचाप उसे देखती रही। उसकी माँ ने पूछा – “क्या सोच रही है… एक बेटी की उड़ान : सुरेश कुमार गौरवRead more

मैं भी तो बेटी हूं : डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्या

सलमा धीरे धीरे आकर मेरे बगल में झिझकते और शर्माती हुई ख़डी हो गई। पहले तो मैंने उसे तवज्जो नहीं दी लेकिन ज़ब वो किंकर्तव्यविमूढ़ होकर इधर उधर देखती हुई… मैं भी तो बेटी हूं : डॉ. स्नेहलता द्विवेदी आर्याRead more

बबली की पाठशाला : मो. ज़ाहिद हुसैन

संज्ञानात्मक विकास एवं शिक्षा-1( प्रथम पाठशाला) बच्चे जब पैदा होते हैं तो वे नये परिवेश में रोते हैं। मां जब उसके मुंह से स्तन को लगाती है तो वे स्वतःस्फूर्त… बबली की पाठशाला : मो. ज़ाहिद हुसैनRead more

सुनीता का त्याग : लवली कुमारी

खट-खट की आवाज सुन कर सुनीता ने कहा, “नैना देखो तो दरवाजा पर कोई आया है।” “मां, पार्सल वाले भैया हैं”, सुनीता आश्चर्य से बोली। “पार्सल वाले क्यों?” “पता नहीं… सुनीता का त्याग : लवली कुमारीRead more

बुद्ध पूर्णिमा विशेष : गिरेन्द्र मोहन झा

आज बुद्ध पूर्णिमा है । आज के दिवस को वैसाख या बुद्ध जयंती पर्व के नाम से भी जानते हैं । बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाएं यथा जन्म, महाभिनिष्क्रमण(गृह-त्याग),… बुद्ध पूर्णिमा विशेष : गिरेन्द्र मोहन झाRead more

असफलता से सफलता तक- सुरेश कुमार गौरव

रवि एक मेहनती लेकिन साधारण छात्र था। माध्यमिक की परीक्षा में असफल होने के बाद उसकी दुनिया जैसे अंधकारमय हो गई थी। समाज के ताने, रिश्तेदारों की उपेक्षा और दोस्तों… असफलता से सफलता तक- सुरेश कुमार गौरवRead more

परीक्षा का सच- सुरेश कुमार गौरव

गाँव के छोटे से स्कूल में पढ़ने वाला सूरज पढ़ाई में औसत था। परीक्षा का नाम सुनते ही उसके माथे पर पसीना छलकने लगता। इस बार भी वार्षिक परीक्षा सर… परीक्षा का सच- सुरेश कुमार गौरवRead more

आलोचना एवं समालोचना : एक दृष्टिकोण- सुरेश कुमार गौरव

परिचय : मानव समाज विचारों, अभिव्यक्तियों और रचनात्मक प्रवृत्तियों का एक जीवंत समुच्चय है। इन प्रवृत्तियों को दिशा देने, संवारने और उनके मर्म तक पहुँचने हेतु जिन उपकरणों का सहारा… आलोचना एवं समालोचना : एक दृष्टिकोण- सुरेश कुमार गौरवRead more

तेते पाँव पसारिए- मनु कुमारी

मनुष्य को अपने सामर्थ्य के अनुसार हीं जीवन में खर्च करना चाहिए। ऐसा नहीं कि आमदनी अठन्नी हो और हम खर्चा रूपया करें। अपनी आमदनी के हिसाब से हीं अपना… तेते पाँव पसारिए- मनु कुमारीRead more