चित्र संख्या 2 पर आधारित स्वरचित कहानी
अम्मा जी
राघव, टीना, गीतिका और मिष्टी तीनों एक ही स्कूल और एक क्लास में पढ़ते थे । जब वे स्कूल जाते थे तो रास्ते में एक छोटी सी बस्ती पड़ती थी। उस बस्ती में एक घर था। बच्चे जब स्कूल जाते थे तो वे उस घर में एक बूढ़ी महिला को देखते थे। उन्हें अपनी गांव में रहने वाली अपने पिता जी की मां अर्थात अम्मा जी की याद हो आती थी। एक दिन स्कूल जाते समय टीना ने देखा कि वह बुजुर्ग महिला अपनी खिड़की से उन लोगों को देखकर मुस्करा रहीं हैं। टीना को बहुत अच्छा लगा, उसने झट से कह दिया अम्मा जी नमस्ते। उन बूढ़ी महिला ने अभिवादन के उत्तर में कहा, ” खुश रहो बच्चों।” यह कहते- कहते मुख मारे खुशी से खिल उठा था। बच्चों को बहुत अच्छा लगा। अब वे रोज स्कूल जाते समय जब उस रास्ते से निकलते तो चारों बच्चे अपने हाथ जोड़कर उनसे अम्मा जी नमस्ते कहते थे। अम्मा जी लगता उन्हें हीरों का खजाना मिल गया हो।
अब तो अम्मा जी नित्य उन बच्चों से मिलने स्कूल जाने समय जरूर दिखाई देती थीं । बल्कि यह कहना चाहिए कि अब अम्मा जी रोज उन बच्चों का इंतजार करती थीं। बच्चों के गुड मॉर्निंग विश करने से अम्मा जी का सारा दिन गुड हो जाता था। बच्चों ने महसूस किया कि अम्मा जी उस घर में अकेली रहतीं हैं। क्योंकि उन्होंने कभी किसी को उनके साथ नहीं देखा।
एक दिन स्कूल आते समय बच्चों को अम्मा जी नहीं दिखाई दी। उन्हें असहज लगा कि आज अम्मा जी उन्हें क्यों नहीं नजर आईं। फिर बच्चों ने सोचा कि शायद वह शायद अपने किसी काम में व्यस्त होंगी। लेकिन दूसरे दिन भी उन्हें अम्मा जी अपने घर के बाहर नहीं नजर आईं। तब बच्चों को चिंता हुई। उस दिन स्कूल पहुंचकर राघव, टीना, गीतिका और मिष्टी ने यह सारी बात अपनी क्लास टीचर बताई और यह भी कहा कि हम अम्मा जी के घर जाना चाहते हैं। क्लास टीचर बच्चों की सारी बात सुनकर बहुत भावुक हो गईं। उन्होंने बच्चों को अम्मा जी के घर ब जाने की इजाजत दे दी।
चारों बच्चे अम्मा जी के घर गए। उन्होंने देखा कि दरवाजा खुला हुआ है । वे अम्मा जी… अम्मा जी… कहते हुए अंदर घर में घुस गए। अम्मा जी बेड पर लेटी हुई थीं। अम्मा जी बच्चों को देखकर खुश हो गईं। लेकिन बीमार होने के कारण उठ नहीं पाईं। टीना ने उनका माथा छू कर देखा तो पाया कि उन्हें बहुत तेज बुखार है। राघव ठंडे पानी की पट्टी अम्मा जी के माथे पर रखने लगा। थोड़ी ही देर में अम्मा जी का बुखार गायब हो गया।
टीना, गीतिका और मिष्टी ने मिलकर नाश्ता तैयार किया और बनाई अदरक व तुलसी की पत्ती की चाय। राघव अम्मा जी को सहारा देकर बगीचे में ले आया, उन्हें कुर्सी पर बैठाया । अम्मा जी सहित सभी बच्चों ने मिलकर हंसी- खुशी नाश्ता खाया और पी गर्मागर्म चाय। अम्मा जी बहुत खुश थीं। बच्चों का अपार प्रेम पाकर वह अब अपने आपको बेहतर महसूस कर रहीं थीं।
– शरद कुमार वर्मा,
शिक्षक
रेलवे हायर सेकेंड्री स्कूल,
चारबाग ,लखनऊ ( उ. प्र.)
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