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पानी की समस्या
एक समय की बात है। गर्मी का मौसम था। भीषण गर्मी पड़ रहा था। सभी तालाब, पोखर सूख चुके थें। जंगल के जानवरों को पानी पीने के लिए जंगल से काफी दूर गाँव और शहर पार कर एक नदी में जाना पड़ता था। जिससे जानवर अपने को असुरक्षित महसूस करते थें। वह नदी भी आधी सूख चुकी थी।
परेशान होकर जानवरों ने अपने राजा शेर से इसकी शिकायत की। शेर ने सभी जानवरों की सभा बुलाई और सबकी राय पूछी। उस सभा में बाघ, तेंदुआ, लकड़बग्घा, चीता, लोमड़ी और भेड़िया जैसे मांसाहारी जानवर आगे की कतार में थें। वहीं हाथी, जिराफ, गाय, भैंस, बकरी, हिरण, घोड़ा, ऊँट, भेड़, गदहा के साथ-साथ खरगोश जैसे शाकाहारी जानवर भी आयें थें जो सबसे पीछे की कतार में बैठे थें। इनके अलावा सुअर, लोमड़ी, भालू , सियार और बेजर जैसे सर्वाहारी जानवर भी आयें थें, जो बीच की कतार में बैठे थें। यूंँ तो पानी की समस्या सभी को थी, लेकिन हाथी और ऊंँट जैसे बड़े जानवरों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। बल्कि उन लोगों ने कहा कि चलो इसी बहाने शहर घुम कर आ जाता हूॅं, बड़ा मजा आता है। परंतु छोटे जानवर काफी डरे- सहमे दिख रहे थें।
शेर को अपनी प्रजा की यह समस्या अंदर तक झकझोर दिया। वह काफी देर तक विचार करता रहा। अंततः उसने सभी जानवरों के हित में जंगल का नया नियम बनाया, जिसे मानना सभी को अनिवार्य था। बड़े जानवरों ने पहले तो विरोध किया लेकिन जब शेर पर उनकी बातों का कोई असर नहीं पड़ा तो अनमने ढंग से उन्होंने भी हामी भर दी।शेर ने यह नियम बनाया कि इस साल बारिश होने तक सभी को कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है। जो इस प्रकार थें।
१. सभी जानवर नदी तक सिर्फ रात में हीं जाएंगे।
2. सभी मिलकर जंगल के बीच में एक बड़ा गड्ढा बनाएंगे, जिसमें बारिश का पानी एकत्र हो सके।
3. हाथी और ऊंँट दोनों अपने साथ क्षमतानुसार पानी लाकर जंगल के बीच वाले गड्ढे में डालेंगे, जिससे विशेष परिस्थितियों में दिन के समय प्यास बुझाई जा सके।
४. जंगल में पेड़ों की संख्या काफी कम हो गई है। कुछ सूख गए है तो कुछ शहरी लोगों द्वारा काट ली गई है। अतः सभी जानवरों विभिन्न पेड़ों के बीजों को जगह-जगह गड्ढा बनाकर गाड़ दें। जिससे की बरसात में वें अंकुरित हो जाएँ और धीरे-धीरे पेड़ों की कमी दूर हो जाए। इससे भविष्य में बारिश अच्छी होगी और पानी की समस्या भी समाप्त हो जाएगी।
सभी छोटे जानवरों में खुशी की लहर दौड़ गयी। खरगोश तो उसी समय से बीजों को गाड़ना शुरू कर दिया। कुछ दिन तक सभी जानवर इसी नियम का पालन करते हुए अच्छे से रहने लगे और अपनी राजा की बुद्धिमत्ता की चर्चा भी करते। कुछ दिनों बाद बरसात आ गई सभी का जीवन सुखमय हो गया। सभी जानवरों ने देखा कि बरसात में अनेक बीज अंकुरित हो गये जो बाद में चलकर वृक्ष का रूप ले लिया। अगली बार से जंगल में पानी की समस्या भी समाप्त हो गयी, क्योंकि बारिश भी अच्छी होती और उनके गड्ढे में जल संग्रहित हो जाता जो गर्मी में भी नहीं सूखता था।
सीख:-
१. विशेष परिस्थितियों के लिए हमें संचय करना चाहिए।
2. वर्षा जल संचय जल संकट निवारण का एक विकल्प है।
3. सभी को अधिकाधिक वृक्ष लगाना चाहिए।
4. सक्षम लोगों को मदद के लिए आगे आना चाहिए।
5. किसी भी समस्या को मिलजुल कर हल निकाला जा सकता है।
कहानीकार:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978