बाबा का अंगना(चित्र संख्या -2)

चित्र संख्या 2
🌷बाबा का अंगना🌷
सोहन बाबु बैंक में प्रबंधन अधिकारी थे।
पैसे की कमी नहीं थी , सुशिक्षित, संस्कारवान पत्नी और दो बेटे थे।
बच्चों को बड़े विद्यालय में पढ़ा रहे थे
जिससे वो उच्च शिक्षा प्राप्त कर बड़े
अधिकारी बने।
पत्नी को गांव घर से बहुत प्रेम था ।वो
बच्चों की छुट्टियों में गांव आकर बहुत सारे‌ पेड़ पौधे लगवाती और आस पास के लोगों को स्नेह बांटती।
समय बीतता गया,बच्चे बड़े हो गये
और उच्च शिक्षा के लिए विदेश चले गये।
पत्नी अचानक रक्त कैंसर से पीड़ित हो स्वर्गवासी हो गयी ।सोहन जी अकेले रह गये।बच्चे विदेश से आने को तैयार नहीं थे।
अचानक ऐसी परिस्थिति में अकेलेपन
का शिकार हो सोहन जी चिड़चिड़े हो गये।घर पर किसी को आने नहीं देते ।
उनको किसी से प्रेम नहीं रह गया ,हर समय गुस्से में रहकर बीमार पर गये।
एक दिन कामवाली बाई जाते समय
बाहर का दरवाजा बंद करना भूल गयी ।बाहर खेलने वाले बच्चे अंदर आकर फल से भरे वृक्ष पर चढ़ गये और तोड़ तोड़ कर खाने लगे।
बगीचे में हलचल मचा।सोहन जी बाहर आये , बच्चों को फल तोड़ खाता देख वे गुस्से में भर गये और एक बच्चे को पकड़ लिया।
वो बच्चा डर से रोने लगा और थरथराते हुए बोला ,
बाबा ,आई लव यू।
आप बहुत अच्छे हैं ,दादी ने हमें फल खाने बोला था ,दादी कहां है?
सोहन बाबु का दिल पिघल गया
लगा जैसे दिल पर जमा बर्फ बच्चों की बातों से पिघलने लगा है।
उन्होंने बागीचे का दरवाजा खोल दिया।
गली में खड़े सारे बच्चे खुशी खुशी अंदर आ फल खाने लगे ।
बाबा का अंगना गुलजार हो गया उनकी खिलखिलाहट से ।
सोहन बाबु स्वस्थ महसूस कर रहे थे।
चंदना दत्त, रांटी मधुबनी

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